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होता है, जो जहां है वहीं जिसे रस आ गया। जैसा है वैसे में रस आ गया। वही व्यक्ति तीर्थ हो गया। तीर्थ सगनों में थोड़े ही होते हैं, व्यक्तियों की आत्माओं में होते हैं। तीर्थ आंतरिक घटना है। और जो व्यक्ति तीर्थ बन गया, वही तीर्थंकर है।
'वह सभी स्थिति और सभी स्थान में समभाव से ही स्थित रहता है।' रिंद जो जर्फ उठा लें वही कूजा बन जाए जिस जगह बैठ के पी लें वहीं मयखाना बने
पीनेवाले तो वही हैं कि जो प्याली उठा लें वही मधु बन जाए। जो प्याली उठा लें, उनके छूने से सुरा बन जाए। जहां बैठकर पी लें, वहीं मयखाना बने।
रिंद जो जर्फ उठा लें वही कूजा बन जाए जिस जगह बैठ के पी लें वहीं मयखाना बने
जो जहां है, जैसा है, उसमें ही रस आ जाए, तो मुक्ति आयी, मोक्ष आया। अन्यथा को छोड़ो। अन्य होने की दौड़ छोड़ो। किसी और जगह कहीं स्वर्ग है, ऐसी भ्रांति छोड़ो। इसी भ्रांति के कारण तुम्हें दिखायी नहीं पड़ रहा है। क्योंकि तुम कहीं और देख रहे हो, दूर तुम्हारी आंखें उलझी हैं तारों पर, चांद-तारों पर और परमात्मा बहुत पास है| परमात्मा वहीं बैठा है जहां तुम। परमात्मा उसी जगह मौजूद है जहां तुमा तुममें और परमात्मा में रत्ती भर फासला नहीं है। इसलिए यात्रा तो करनी ही नहीं है। तीर्थयात्रा सब यात्राओं से मुक्त हो जाने का नाम है।
कहते हैं, फकीर बायजीद को धर्म से बाहर निकाल दिया गया था, क्योंकि उसने एक कुफ्र की बात की। बैठा था एक वृक्ष के नीचे और कुछ लोग हज की यात्रा को जा रहे थे और उसने कहा कि पागलो, कहां जा रहे हो, हज यहां बैठा है? और उनमें से कुछ लोग रुक गये। और उन्होंने देखा बात तो सच थी। ऐसा सौंदर्य, ऐसा प्रसाद, ऐसा माधुर्य उन्होंने कभी देखा न था। वे ठगे खड़े रह गये। तो बायजीद ने कहा, अब खड़े क्या हो, परिक्रमा करो। तो उन्होंने उसकी परिक्रमा की। उसके हाथ ये, जैसा लोग काबा का पत्थर चूमते हैं।
अब उसने कहा, अब घर लौट जाओ। और दुबारा अगर फिर हज करना हो, तो मेरे पास भी आने की जरूरत नहीं, अपनी ही परिक्रमा कर लेना। यह तो मैंने तुम्हें एक पाठ पढ़ाया। इस पाठ को मत पकड़ लेना जोर से, नहीं तो मैं मर जाऊंगा तो तुम इस झाडू के चक्कर लगाओगे। ऐसे ही तो लोग उपद्रव कर रहे हैं। अभी तक काबा के पत्थर का चक्कर लगाया जा रहा है। परिक्रमाएं कर रहे हैं। चले काशी, चले गिरनार, चले जेरूसलम। कहीं जाना है! सदा मन में एक भ्रांति है कि सुख कहीं और बरस रहा है, बस तुम्हें छोड़कर बरस रहा है। जैसे तुम पर कोई भगवान विशेष इंतजाम किया है कि तुम पर भर न बरसे। और कहीं बरसे। और जेरूसलम में जो रहते हैं उनका तुम्हें पता है, काशी में जो रहते हैं उनका तुम्हें पता है, उन्हें कुछ मिला? वहां भी नहीं बरस रहा है। अगर आख नहीं खुली है तो कहीं भी नहीं बरस रहा है और अगर आख खुली है तो कहीं भी बरस रहा है।
रिंद जो जर्फ उठा लें वहीं कूजा बन जाए