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वह राजी हो गया, उसने स्वीकार कर लिया। स्वीकार करके उसने तत्क्षण - एक हाथ से दस्तखत किया स्वीकार का और दूसरे हाथ से दान कर दिया, पूरी धनराशि, कोई दस लाख रुपये की धनराशि दान कर दी। वह अखबारों में खबर छपी कि, बड़ा दानी। और आखिरी खबर यह छपी कि वह दान जिसको किया है, वह संस्था कुछ और नहीं उसकी ही संस्था है, वह खुद ही एक मेंबर हैं उसके । ऐसे इस हाथ से देकर अपने को ही ले ली। और जब उससे पूछा गया, यह सब जाल क्यों किया? तो उसने कहा कि नोबल प्राइज मिलती, एक दफे छपकर बात खतम हो जाती, मैंने सात दफे छपवा ली। सात दिन तक दुनिया भर की आंखें अटकाए रखा।
आदमी उत्सुक है कि ध्यान कोई दे। पागलपन करने को तैयार है। तो झेन फकीर कहते हैं, पागल को तो ध्यान देना ही मत। उसको रख देते हैं दूर एक झोपड़े में। खाना पहुंचा देते हैं उसकी तीमारदारी कर देते हैं, लेकिन उससे कोई बोलता भी नहीं । उससे कहते हैं, तीन सप्ताह तू शात बैठकर देख जो भी होता है तेरे भीतर। अक्सर ऐसा होता है कि तीन सप्ताह पूरे होते-होते वह आदमी ढंग पर आ जाता है, रास्ते पर आ जाता है। कुछ किया नहीं जाता, सिर्फ उसको छोड़ दिया जाता है उस पर ही । कोई ध्यान नहीं देता, कोई उत्सुकता नहीं लेता।
तुम चकित होओगे जानकर यह बात कि अक्सर हम जब ध्यान देते हैं लोगों पर तो हम उनकी गलत आदतें मजबूत करते हैं। बच्चा बीमार है तो बाप उसके पास बैठता है आकर, मां सिर दबाती । बच्चा स्वस्थ है तो न बाप उसके पास बैठता, न मां उसकी कोई फिकिर लेती। तुम गलत काम कर रहे हो। तुम बीमारी के साथ बच्चे का रस जोड़ रहे हो। तुम कह रहे हो कि जब भी तुझे ध्यान की जरूरत हो, बीमार पड़ जाना । तुमने एक ऐसा रस पैदा कर दिया बीमारी में कि बच्चा जब भी अनुभव करेगा कि मेरी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा, तब वह बीमार हो जाएगा, रुग्ण हो जाएगा। सौ में नब्बे
प्रतिशत बीमारियां ध्यान के लिए पैदा की जाती हैं।
इसलिए तुम देखते, पत्नी मजे से बैठी है, रेडियो सुन रही है, अपना स्वेटर बुन रही है और जैसे ही हार्न नीचे बजा कि पति आ गये कि एकदम लेट गयी, सिर में दर्द हो गया। और तुम ऐसा मत सोचना कि वह बनकर ही लेटी है। हो ही जाता है। तुमसे मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह धोखे दे रही है। यह उसकी अब आदत हो गयी है, पति का जो हार्न बजना है यह काफी है सिरदर्द के लिए । संयोग हो गया, दोनों का जोड़ बैठ गया। जिसको मनोवैज्ञानिक एसोसिएशन कहते हैं। इसका संयोग हो गया। ऐसा मत सोचना कि मैं यह कह रहा हूं कि वह धोखा दे रही है। शायद कभी शुरू-शुरू में दिया होगा, अब तो वह बहुत गये दिनों की बात हो गयी। अब तो यह आदत का हिस्सा हो गयी । पति के आते ही सिर में दर्द उठता है। क्योंकि जब सिर में दर्द होता है तभी पति सिर पर हाथ रखता है। नहीं कौन अपनी पत्नी के सिर पर हाथ रखता है! कोई दूसरे की पत्नी के सिर पर हाथ भला रख दे, अपनी पत्नी के सिर पर कौन हाथ रखता है! पत्नी जब परेशान होती है, तब पति थोड़ी सहानुभूति दिखाता है। प्रेम तो खो गया है, अब सहानुभूति से ही काम चलाता है। पत्नी को भी अब प्रेम तो मिलता नहीं, लेकिन सहानुभूति की भिक्षा। तो कभी बीमार, तो कभी सिरदर्द, तो कभी कमर में दर्द,