________________
जाता था, अब तभी पह हूं जब खुला होता है पहले तो ऐसा होता था, रविवार को बंद है तब भी मैं पहुंच जाता था वह पागलपन अब छूट गया। अब तो जब खुला होता है तभी जाता हूं। ये कोई फर्क हुए। छोटे -मोटे सुधार कहो। किसी बड़े मूल्य के नहीं।
झेन आश्रमों में पागल आदमी को कोई विश्लेषण नहीं करते। उसे दूर आश्रम के कोने में एक कमरे में रख देते हैं, एक झोपड़े में रख देते हैं। उससे कोई बोलता भी नहीं। उस पर कोई ज्यादा ध्यान भी नहीं देते। क्योंकि झेन फकीर कहते हैं, पागल पर ज्यादा ध्यान देने से उसके पागलपन को भोजन मिलता है। उसको मजा आता है कि इतने लोग ध्यान दे रहे हैं! उसको ध्यान देने की जरूरत नहीं, क्योंकि ध्यान बड़ा सूक्ष्म भोजन है। हो सकता है वह पागलपन इसीलिए दिखला रहा है कि ध्यान पाने का यही एक उपाय है उसके पास, और कोई उपाय नहीं। कोई राजनेता बनकर ध्यान पा लेता है, कोई पागल बनकर ध्यान पा लेता है, हैं सब पागलपन की बातें। कोई धन इकट्ठा करके ध्यान पा लेता है, कोई आदमी नंगा खड़ा होकर, फकीर होकर ध्यान पा लेता है, लेकिन हैं सब पागलपन की बातें।
दूसरे से जब तक तुम ध्यान पाने की आकांक्षा कर रहे हो, तब तक तुम होश में नहीं हो। होश वाला आदमी दूसरे से ध्यान की आकांक्षा नहीं करता, अपने भीतर ध्यान को जगाता है।
फर्क समझ लेना। आमतौर से तुम दूसरे से ध्यान पाने की आकांक्षा करते हो। इसीलिए तो स्त्रियां खड़ी हैं दर्पण के सामने घंटों।
मुल्ला नसरुद्दीन एक दिन मक्खियां मार रहा था, एकदम चिल्लाया कि दो मादा मक्खियां मार डाली और दो नर! पत्नी ने कहा, हद हो गयी, तुमने जाना कैसे कि दो मक्खियां मादा थीं और दो नर थीं? उसने कहा कि जो नर थे वे अखबार पर बैठे थे और जो मादाएं थीं वे दर्पण पर बैठी थीं। इससे साफ है। घंटे भर से देख रहा हूं कि दो मक्खियां बस दर्पण पर ही बैठी हैं। मादा होनी चाहिए।
स्त्रियां दर्पण के सामने सज रही हैं, संवर रही हैं, किसलिए? किसी का ध्यान आकर्षित हो जाए। अब ये बड़ी उल्टी बातें हैं। खूब सज-संवर कर निकलेंगी, आकांक्षा भीतर यही है अचेतन की कि किसी का ध्यान आकर्षित हो। फिर कोई धक्का दे देगा तो नाराज भी होती हैं। अब यह बड़ी बेहूदी बात है। धक्के कोई न दे, कोई देखे न, तो दुख। कोई देख ले और धक्का दे दे, कोई पीछे लग जाए, तो दुख। आदमी बड़ा बेबूझ है। लोग ढंग-ढंग की व्यवस्थाएं जुटाते हैं, कैसे ध्यान आकर्षित हो जाए।
रॉबर्ट रिप्ले अमरीका का एक बहुत प्रसिद्ध आदमी हुआ उसको प्रसिद्ध होना था तो उसने आधे
बाल घोट डाले-आधे सिर के। तीन दिन के भीतर पूरे अमरीका में उसका नाम हो गया। क्योंकि सारे अखबारों में फोटो छप गया, अखबार के लोग आने लगे उससे पूछने कि यह आपने क्यों किया? क्या बात है? इसके पीछे राज क्या है? उसने एक सर्कस से हाथी खरीद लिया और हाथी पर बैठकर न्यूयॉर्क में घूम गया आधा सिर घुटा और हाथी पर बैठा। और हाथी पर बड़े -बड़े अक्षरों में लिखा है -रॉबर्ट रिप्ले। बच्चा-बच्चा जान गया, घर-घर से लोग निकलकर आ गये देखने कि मामला क्या