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रहता हूं। जब मां नहीं होती तब भी रहता हूं,इतना कुछ ऐसे विचारों में और शब्दों में सोचता है ऐसा नहीं, ऐसा धीरे - धीरे अनुभव परिपक्व होता है।
अब तुम ध्यान रखना, जैसे पहले तू आता है और मैं पीछे आता है ऐसे ही आध्यात्मिक प्रक्रिया में पुन: जब फिर से नया जन्म होगा तो तू पहले जायेगा, फिर मैं जायेगा। जब तू चला गया तो मैं ज्यादा देर नहीं टिक सकता। यह मैं तो तू की छाया की तरह ही आया था और यह तू की छाया की तरह चला जायेगा। इसलिए अगर कोई ज्ञानी कहता हो 'मैं ', तो समझना अभी तू गया नहीं है। अभी तू कहीं आसपास ही खड़ा होगा। उसकी छाया पड़ रही है। मैं तू की छाया है। और तू ज्यादा मौलिक है मैं से। क्योंकि मैं पीछे आता, तू पहले आता| तू के चले जाने पर मैं चला जाता है।
इस घड़ी में स्वभावरहित हो जाता है योगी। वह यह नहीं कह सकता कि यह मैं हूं। यह बड़े विरोध की और बड़े मजे की बात है। जो है वही नहीं कह सकता कि मैं हूं और जो बिलकुल नहीं है वह घोषणा किये चला जाता है कि मैं हूं। मेरे होने की घोषणा उनसे उठती है जो नहीं हैं। और जो हैं उनका मैं बिलकुल शून्य हो जाता है।
तब बड़ी अनिर्वचनीय दशा पैदा होती है, अब इसे क्या कहें? न तू कह सकते हैं न मैं न अंधेरा न प्रकाश, न जीवन न मृत्यू; न पदार्थ न परमात्मा। कुछ भी नहीं कह सकते। सब कहना व्यर्थ मालूम होने लगता है। और जो भी कहें, गलत हो जाता है।
लाओत्से ने कहा, सत्य को कहा कि झूठ हो जाता है। बोले कि चूके। तो ऐसी स्थिति का नाम है अनिर्वचनीय। अब इसका निर्वचन नहीं हो सकता।
अनिर्वाच्च स्वभावस्य।
आ तो गये अपने घर में, लेकिन ऐसा है कुछ यह घर कि वहां कोई निर्वचन काम नहीं आता। कोई व्याख्या, कोई परिभाषा काम नहीं पड़ती।
निस्वभावस्य योगिनः।
और योगी स्वभाव से मुक्त होकर अनिर्वचनीय स्वभाव को उपलब्ध हो जाता है। एक छोटे क्षुद्र स्वभाव से मुक्त हो जाता है और विराट के स्वभाव को उपलब्ध हो जाता है।
यही है अर्थ जीसस का, जब जीसस बार -बार कहते हैं, 'ब्लेसेड आर द मीक।' वे जो नहीं हैं, धन्यभागी हैं। निर्बल के बल राम। वह जो इतना निर्बल हो गया कि अब मैं हूं इतना भी नहीं कह सकता। इतनी भी दावेदारी न रही। उसी को मिलते प्रभ। हारे को हरिनाम। वह जो इस तरह हार गया, और सब तो गया ही गया, खुद भी अपने को हार गया। दाव पर सब लगा चुका।
पाडवों ने तो द्रोपदी को दाव पर लगाया था। वह सिर्फ तू को दाव पर लगाया। जरा चूक गये। आखिरी करीब-करीब आ गये थे। यह जो दाव है, यह जीवन के वास्तविक युद्ध का, यहां मैं को भी दांव पर लगा देना है।
मैं अकिंचनबन गया हूं दवार पर आकर तुम्हारे