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का अर्थ है सुना गया। तुम्हारे सब शास्त्र या तो श्रुति हैं — सुने गये। किसी ने कहा, तुमने सुना। या स्मृति: - याद किये गये, कंठस्थ कर लिये । बैठ गये तोता बनकर । श्रुति स्मृति बड़े अच्छे शब्द हैं। यही तुम्हारी सब धारणाएं हैं— श्रुतियां और स्मृतियां । छोड़ो दोनों। न तो कोई श्रुति से सत्य को पाता है, न कोई स्मृति से सत्य को पाता है । छोड़ो दोनों। उनके दोनों के छोड़ते ही पर्दा गिर जाता है। सत्य सामने खड़ा है। सत्य सदा सामने खड़ा है। सत्य तुम्हें घेरे हुए खड़ा है। सत्य इन वृक्षों में, सत्य इन हवाओं में, सत्य इन मनुष्यों में, पशु-पक्षियों में खड़ा है। परमात्मा हजार-हजार रूपों में प्रगट हो रहा है। और तुम बैठे अपनी सड़ी-गली किताब खोले। तुम बैठे अपना कुरान- बाइबिल लिये। तुम उसमें देख रहे हो कि सत्य कहां है । और सत्य यहां सूरज की किरणों में नाच रहा । और सत्य तुम्हारे द्वार पर हवाओं में दस्तक दे रहा । और सत्य हजार-हजार नूपुर बांधकर मदमस्त है।
सत्य चारों तरफ खड़ा है; आंख पर पर्दा है । पर्दा शब्दों, सिद्धांतों, शास्त्रों का है; श्रुतिस्मृति का है। हटा दो। कह दो, मैं नहीं जानता। जिस दिन तुम यह कहने में समर्थ हो जाओगे... ध्यान रखना, बड़े साहस की बात है। थोड़े ही लोग समर्थ हो पाते हैं जो कहते हैं, मैं नहीं जानता। जिस दिन तुम यह कहने में समर्थ हो पाओगे कि मैं नहीं जानता, तुम तैयार हुए जानने के लिए। पहला कदम उठाया। तुमने कम से कम व्यर्थ को तो छोड़ा। अंधेपन में जो मान्यतायें मानी थीं, वे तो छोड़ीं।
तो कम से कम ऐसे अंधे तो बनो, जो कहता है कि मैंने हाथ तो फेरा लेकिन क्या था, मैं ठीक से नहीं जानता। खंभे जैसा मालूम पड़ता था। लेकिन अंधे के मालूम पड़ने का क्या भरोसा ! मैं अंधा हूं। स्वीकार कर लो कि मैं अज्ञानी हूं और ज्ञान की पहली किरण उतरेगी। सिर्फ उनके ही जीवन में ज्ञान की किरण उतरती है, जो इतने विनम्र हैं; जो कह देते हैं कि मुझे पता नहीं । परमात्मा उन्हीं के हृदय को खटखटाता है।
पंडितों पर यह किरण कभी नहीं उतरती । पापियों पर उतर जाये, पंडितों पर नहीं उतरती । पंडित होना इस जगत में सबसे बड़ा पाप है।
अपनी बानी प्रेम की बानी
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