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जाती है। ___ 'ध्यान में रोती हूं। आपका चित्र देख कर विभोर होती हूं। आपकी याद से भी बहुत कुछ घटित होता है। अब क्या करूं?' ____ अब कुछ करने की बात ही नहीं है। करना तो उन्हीं के लिए है जो रोने में असमर्थ हैं। करना तो उन्हीं के लिए है जिनके हृदय कठोर हो गये हैं और आंसुओं के फूल नहीं लगते हैं। करना तो उन्हीं के लिए है जिनके जीवन की भक्ति सूख गई है, भाव सूख गया है, बहाव सूख गया है। जो रो सकता है उसके लिए तो परमात्मा का रास्ता खुला है।
तुम्हारे लिए तो द्वार मंदिर के खुल गये। रोओ! आनंद-मग्न होकर रोओ! ऐसे भाव से रोओ कि रोना ही रह जाये। तुम्हारा अपना यह खयाल ही मिट जाये कि मेरे भीतर कोई रोने वाला है; रोना ही रोना रह जाये। बस, ध्यान पूरा हो जायेगा। वहीं से समाधि उतरेगी। ___ एक रास्ता है ध्यान का, एक रास्ता है प्रेम का। और प्रेम का रास्ता बड़ा रसपूर्ण है। ध्यान का रास्ता बड़ा सूखा-सूखा है। जिसे प्रेम का रास्ता मिल जाये, वह भूले ध्यान की बात, भूले। बिसारो यह बात। प्रेम ही तुम्हारे लिए पर्याप्त है।
पिया खोलो किवाड़ पिया खोलो किवाड़! कोयल की गूंजी पुकारें बगिया में मरमर दुनिया में जगहर उतरी किरण की कतारें पिया खोलो किवाड़ पिया खोलो किवाड़! कोयल की गूंजी पुकारें कलियों में गुनगुन गलियों में रुन-झुन अंबर से गाती बहारें पतझर को भूली हर डाली फूली बीती को हम भी बिसारें गूंगी थीं घड़ियां गीतों की कड़ियां वीणा को फिर झनकारें माना कि दुख है विधना विमुख है आओ उसे ललकारें
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अष्टावक्र: महागीता भाग-4