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________________ होने देगी, और मौत को टाला जा सकेगा। मौत को दूर तक टाला जा सकेगा। इसमें कुछ राज है। बात में कुछ सचाई है। तुमने कभी खयाल किया, तुम्हारी उम्र पचास साल है और अगर तुम बीस साल की युवती के प्रेम में पड़ जाओ तो अचानक तुम ऐसे चलने लगोगे जैसे तुम्हारी उम्र दस साल कम हो गयी; जैसे तुम थोड़े जवान हो गये; फिर से एक पुलक आ गयी; फिर से वासना ने एक लहर ली; फिर तरंगें उठीं। बूढ़ा आदमी भी किसी के प्रेम में पड़ जाये तो तुम पाओगे उसकी आंख में बुढ़ापा नहीं रहा, वासना तरंगित होने लगी, धूल हट गयी बुढ़ापे की। धोखा ही हो हट जाना, लेकिन हटती है। जवान आदमी को भी कोई प्रेम न करे तो वह जवानी में ही बूढ़ा होने लगता है; ऐसा लगने लगता है, बेकार हूं, व्यर्थ हूं! इसलिए तो प्रेम का इतना आकर्षण है और मरते दम तक आदमी छोड़ता नहीं; क्योंकि छोड़ने का मतलब ही मरना होता है। इसलिए कामवासना के साथ हम अंत तक ग्रसित रहते हैं। उसी किनारे को पकड़ कर तो हमारा सहारा है। न स्त्रियां उपलब्ध हों तो लोग नंगे चित्र ही देखते रहेंगे। फिल्म में ही देख आयेंगे जा कर; राह के किनारे खड़े हो जायेंगे; बाजार में धक्का-मुक्की कर आयेंगे। कुछ जीवन को गति मिलती मालूम होती है। ___ मुल्ला नसरुद्दीन अपने छज्जे पर बैठा था और अचानक अपने नौकर को कहा कि जल्दी कर, जल्दी कर, मेरे दांत उठा कर ला। वह जब तक आया दांत ले कर, उसने कहाः बहुत देर कर दी। नौकर ने कहा : अभी दांत की अचानक जरूरत क्या पड़ी? अभी तो कोई भोजन आप कर नहीं रहे? उसने कहाः पागल! अभी एक जवान लड़की निकलती थी; सीटी बजाने का मन हुआ! . जब बूढ़ा आदमी सीटी बजाता है, तब उसकी उम्र उसे भूल जाती है। तब मौत करीब है, यह भी भूल जाता है। बूढ़े को दूल्हा बना कर, घोड़े पर बिठा कर देखो, तुम पाओगे वह बूढ़ा नहीं रहा। गठिया इत्यादि था, वह सब शिथिल हो गया है; चल पाता है ठीक से अब। वह जो लकवा लग गया था, उसका पता नहीं चलता। वह जो लंगड़ाने लगा था, अब लंगड़ाता नहीं है। जैसे जीवन की ज्योति में एक नया प्राण पड़ गया; दीये में किसी ने तेल डाल दिया! वासना, काम जीवन है। जीवन का पर्याय है काम। और काम का खो जाना है मृत्यु। इसलिए इन दोनों को एक साथ रखा है। 'प्रीतियुक्त स्त्री और समीप में उपस्थित मृत्यु को देख कर जो महाशय अविचलमना और स्वस्थ रहता है, वह निश्चय ही मुक्त है।' __अगर मरता हुआ आदमी स्त्री को देख कर वासना से भर जाये तो मौत को खड़ी देख कर भी कंपेगा। अगर मरता हुआ व्यक्ति स्त्री को ऐसा देख ले जैसे कुछ भी नहीं तो मौत को भी देख कर कंपेगा नहीं। और जो स्त्री के संबंध में सच है, वह स्त्रियों के लिए पुरुष के संबंध में सच है। चूंकि ये किताबें पुरुषों ने लिखी हैं और उनको कभी खयाल नहीं था कि स्त्रियों के संबंध में भी कुछ कहें, स्त्रियों के लिए निवेदित नहीं थी, इसलिए बात भूल गयी। लेकिन मैं यह तुम्हें याद दिला दूं: जो पुरुष के संबंध में सही है वही स्त्री के संबंध में सही है। मरते क्षण स्त्री अगर पुरुष को देख कर-प्रीतियुक्त पुरुष को देख कर, जिसका सौंदर्य लुभाता, जिसका स्वास्थ्य आकर्षित करता, जिसकी स्वस्थ धर्म अर्थात सन्नाटे की साधना 201
SR No.032112
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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