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- स्त्री प्रतीक है। स्त्री से तुम 'स्त्री' मत समझ लेना, अन्यथा सूत्र का अर्थ चूक जाओगे। स्त्री से तुम यह महत्वपूर्ण बात समझना कि स्त्री जन्मदात्री है। तो जहां से वर्तुल शुरू हुआ है वहीं समाप्त होगा।
ऐसा समझो, वर्षा होती है बादल से। पहाड़ों पर वर्षा हुई, हिमालय पर वर्षा हुई; गंगोत्री से जल बहा, गंगा बनी, बही, समुद्र में गिरी। फिर पानी भाप बन कर उठता है, बादल बन जाते हैं। वर्तुल वहीं पूरा होता है जहां से शुरू हुआ था। बादल बन कर ही वर्तुल पूरा होता है। __पूरब में हमने हर चीज को वर्तुलाकार देखा है। सब चीजें वहीं आ जाती हैं। बूढ़ा फिर बच्चे जैसा असहाय हो जाता है। जैसे बच्चा बिना दांत के पैदा होता है, ऐसा बूढ़ा फिर बिना दांत के हो जाता है। जैसा बच्चा असहाय था और मां-बाप को चिंता करनी पड़ती थी-उठाओ, बिठाओ, खाना खिलाओ-ऐसी ही दशा बूढ़े की हो जाती है। वर्तुल पूरा हो गया।
जीवन की सारी गति वर्तलाकार है. मंडलाकार है। स्त्री से जन्म मिलता है तो कहीं गहरे में स्त्री से ही मत्य भी मिलती होगी। अब अगर स्त्री शब्द को हटा दो तो चीजें और साफ हो जायेंगी। क्योंकि हमारी पकड़ यह होती है : स्त्री यानी स्त्री।।
हम प्रतीक नहीं समझ पाते; हम काव्य के संकेत नहीं समझ पाते। स्त्रियों को लगेगा, यह तो उनके विरोध में वचन है। और पुरुष सोचेंगे, हमें तो पहले ही से पता था, स्त्रियां बड़ी खतरनाक हैं! यहां स्त्री से कुछ लेना-देना नहीं है, तुम्हारी पत्नी से कोई संबंध नहीं है। यह तो प्रतीक है, यह तो काव्य का प्रतीक है, यह तो सूचक है-कुछ कहना चाहते हैं इस प्रतीक के द्वारा।
कहना यह चाहते हैं कि काम से जन्म होता है और काम के कारण ही मृत्यु होती है। होगी ही। जिस वासना के कारण देह बनती है, उसी वासना के विदा हो जाने पर देह विसर्जित हो जाती है। वासना ही जैसे जीवन है। और जब वासना की ऊर्जा क्षीण हो गयी तो आदमी मरने लगता है। बूढ़े का क्या अर्थ है? इतना ही अर्थ है कि अब वासना की ऊर्जा क्षीण हो गयी; अब नदी सूखने लगी; अब जल्दी ही नदी तिरोहित हो जायेगी। बचपन का क्या अर्थ है? –गंगोत्री। नदी पैदा हो रही है। जवानी का अर्थ है : नदी बाढ़ पर है। बुढ़ापे का अर्थ है : नदी विदा होने के करीब आ गयी; समुद्र में मिलन का क्षण आ गया; नदी अब विलीन हो जायेगी।
कामवासना से जन्म है। इस जगत में जो भी. जहां भी जन्म घट रहा है_फल खिल रहा है. पक्षी गुनगुना रहे हैं, बच्चे पैदा हो रहे हैं, अंडे रखे जा रहे हैं-सारे जगत में जो सृजन चल रहा है, वह काम-ऊर्जा है, वह सेक्स-एनर्जी है। तो जैसे ही तुम्हारे भीतर से काम-ऊर्जा विदा हो जायेगी, वैसे ही तुम्हारा जीवन समाप्त होने लगा; मौत आ गयी।।
मौत क्या है? काम-ऊर्जा का तिरोहित हो जाना मौत है। इसलिए तो मरते दम तक आदमी कामवासना से ग्रसित रहता है, क्योंकि आदमी मरना नहीं चाहता। ___ तुम चकित होओगे जान कर, पुराने ताओवादी ग्रंथों में इस तरह का उल्लेख है-और उल्लेख महत्वपूर्ण है कि सम्राट चाहे कितना ही बूढ़ा हो जाये, सदा नयी-नयी जवान लड़कियों से विवाह करता रहे। कारण? क्योंकि जब भी सम्राट नयी लड़कियों से विवाह करता है तो थोड़ी देर को भ्रांति पैदा होती है कि मैं जवान हूं। सम्राट जब बूढ़ा हो जाये तो दो जवान लड़कियों को अपने दोनों तरफ सुला कर रात बिस्तर पर सोये। जवान लड़कियों की मौजूदगी उसके भीतर से वासना को तिरोहित न
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अष्टावक्र: महागीता भाग-4