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________________ कृष्ण ने अर्जुन को कहा है : 'या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी । यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।' संपूर्ण भूतों की जो आत्म-अज्ञानरूपी रात्रि है और जिसमें सब भूत सोये हुए हैं उसमें ज्ञानी जागता है। और जिस अज्ञानरूपी दिन में सब भूत जागते हैं, उसमें ज्ञानी सोया हुआ है। अज्ञानी जहां जागंता है वहां ज्ञानी सो जाता है । और जहां अज्ञानी सोया है, वहां ज्ञानी जाग जाता है। तुम इंद्रियों में जागे हुए हो, स्वयं में सोये हुए; ज्ञानी स्वयं में जाग जाता, इंद्रियों में सो जाता है। उसकी इंद्रियां शांत हो कर शून्य हो जाती हैं। उसका साक्षी जागता है। ऊर्जा तो वही है। जब साक्षी जागता है तो इंद्रियों के जागने की कोई जरूरत नहीं रह जाती। उनमें ऊर्जा नहीं बहती। साक्षी सारी ऊर्जा को अपने में लीन कर लेता है। तुम जहां जागे हो, वहां ज्ञानी सो जाता है; तुम जहां सोये हो, वहां ज्ञानी जाग जाता है। जो तुम्हारा दिन, उसकी रात्रि । जो तुम्हारी रात्रि, उसका दिन । न 'वह न जागता है, न सोता है। न पलक को खोलता है और बंद करता है । अहो, मुक्तचेतस की कैसी उत्कृष्ट परम दशा रहती है !' समझना । न जागर्ति न निद्राति नोन्मीलति न मीलति । अहो परदशा क्वापि वर्तते मुक्तचेतसः।। न जागर्ति... । ज्ञानी कुछ करता ही नहीं। इसलिए यह भी कहना ठीक नहीं कि वह जागता है। यह भी कहा ठीक नहीं कि वह सोता है। जब कर्तृत्व ही खो गया तो परमात्मा ही जागता है, और परमात्मा ही सोता है - ज्ञानी नहीं । इस भेद को खयाल रखना । तुम बड़ी कोशिश करते हो, नींद नहीं आ रही है। तुम सोने की कोशिश करते हो। तुम सोचते हो शायद सोने की कोशिश से नींद आ जायेगी। कोशिश से नींद का कोई संबंध है? जब आती है, तब आती है। जब परमात्मा सोना चाहता है, तब सोता है; तुम्हारे सुलाने से नहीं । परमात्मा कोई छोटा बच्चा नहीं है कि तुमने लोरी गा दी, थपकी मार दी और सुला दिया। तुम्हारे भीतर जब सोने की जरूरत होती है, तो नींद आ जाती है 1 मेरे पास कोई आकर कहता है कि नींद नहीं आती है, तो उससे मैं कहता हूं, न आने दो। शांत बिस्तर पर पड़े रहो। तुम कुछ करो भी मत । तुम्हारी चेष्टा से कुछ हल होगा भी नहीं । चेष्टा से नींद का कोई संबंध नहीं है। सच तो यह है कि चेष्टा के कारण ही नींद नहीं आ रही है। तुम्हारी चेष्टा ही बाधा बन रही है। नहीं आती तो ठीक है, जरूरत नहीं होगी । अब बूढ़े आदमी हैं, वे भी चाहते हैं कि आठ घंटे सोयें । बूढ़े आदमी को आठ घंटे सोने की जरूरत नहीं रह गयी। तीन-चार घंटा बहुत है । उनको चिंता होती है। क्योंकि पहले वे आठ घंटा सोते थे । वे यह भूल ही गये कि पहले वे जवान थे। जरूरतें अलग थीं। मां के पेट में बच्चा चौबीस घंटे सोता है, तो क्या बुढ़ापे में भी चौबीस घंटे सोओगे ? बच्चा पेट से पैदा हो जाता है तो अठारह घंटे सोता है, बीस घंटे सोता है, तो क्या तुम अठारह-बीस घंटे सोओगे ? बच्चे की जरूरत अलग है। जैसे-जैसे तुम्हारी उम्र बढ़ने लगी, नींद की जरूरत कम होने लगी। शून्य की वीणा : विराट के स्वर 157
SR No.032112
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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