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पहुंचने दी अधर तक बस आंसुओं की धार।
मेरे साथ अत्याचार! नहीं, कोई तुम्हारे साथ अत्याचार नहीं कर रहा है। और ऐसा भी नहीं है कि प्यालियों को तुम तक कोई नहीं पहुंचने देता। हर रस की प्याली पहुंचते-पहुंचते आंसुओं की धार हो जाती है। कोई कर नहीं रहा है। असल में प्यालियों में आंसू ही भरे हैं। दूर से तुम्हारी वासना के कारण रसधार मालूम पड़ती है। जब पास आते हो, अनुभव में उतरते हो, तो सब आंसू हो जाते हैं। अपने जीवन को जरा देखो, तलाशो। तुम आंसुओं की धार ही धार पाओगे। और किसी ने कोई अत्याचार नहीं किया; किया है तो तुमने ही किया है।
उस दिन सपनों की झांकी में मैं क्षण भर को मुस्काया था मत टूटो अब तुम युग युग तक हे खारे आंसू की लड़ियो! बदला ले लो सुख की घड़ियो! मैं कंचन की जंजीर पहन क्षण भर सपने में नाचा था अधिकार सदा को तुम जकड़ो मुझको लोहे की हथकड़ियो!
बदला ले लो सुख की घड़ियो! एक-एक छोटा-छोटा सुख कितने गहन दुख में उतार जाता है। जरा-जरा सा स्वर्ग कितने नरक दे जाता है।
उस दिन सपनों की झांकी में
मैं क्षण भर को मुस्काया था सपनों की झांकी में!
मैं क्षण भर को मुस्काया था मत टूटो अब तुम युग युग तक हे खारे आंसू की लड़ियो!
बदला ले लो सुख की घड़ियो! एक-एक सुख गहन बदला लेता मालूम पड़ता है। एक-एक सुख जब टूटता है तो गहरा विषाद छोड़ जाता है।
मैं कंचन की जंजीर पहन क्षण भर सपने में नाचा था अधिकार सदा को तुम जकड़ो मुझको लोहे की हथकड़ियो! बदला ले लो सुख की घड़ियो!
सहज ज्ञान का फल हे तृप्ति