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क्वांरी लड़की थी। माता-पिता खेत पर काम करने गये थे। उस कन्या ने कहा ः 'आप आए हैं, माता-पिता यहां नहीं, आप दो क्षण रुक जायें तो मैं चावल कूट कर आपको दे दूं, और तो घर में कुछ है नहीं। चावल कूट दूं, साफ-सुथरे कर दूं, और आपकी झोली भर दूं।' तो दत्तात्रेय रुके। उस कन्या ने चावल कूटने शुरू किए तो उसके हाथ में बहुत चूड़ियां थीं, वे बजने लगीं। उसे बड़ा संकोच हुआ। यह शोरगल, यह छन-छन की आवाज, साध द्वार पर खड़ा तो उसने एक-एक करके चड़ियां उतार दीं। धीरे-धीरे आवाज कम होने लगी। दत्तात्रेय बड़े चौंके। आवाज धीरे-धीरे बिलकल कम हो गई, क्योंकि एक ही चूड़ी हाथ पर रही। फिर जब वह उन्हें देने आई चावल तो उन्होंने पूछा कि एक बात पूछनी है : 'पहले तूने चावल कूटने शुरू किए तो बड़ी आवाज थी, फिर धीरे-धीरे आवाज कम होती गई, हुआ क्या? फिर आवाज खो भी गई!' तो उस लड़की ने कहा कि सोच कर कि आप द्वार पर खड़े हैं, आपकी शांति में कोई बाधा न पड़े, मुझे बड़ा संकोच हुआ, चूड़ियां हाथ में बहुत थीं तो आवाज होती थी, फिर एक-एक करके मैं निकालती गई। आवाज तो कम हुई, लेकिन रही। फिर जब एक ही चूड़ी बची तो सब आवाज खो गई।
तो दत्तात्रेय ने यह वचन कहा : वासो बहूनां कलहो भवेद्वार्ता द्वयोरपि। एकाकी विचरेद्विद्वान कुमार्या इव कंकणः।।
कहा कि जैसे कुंवारी लड़की के हाथ पर चूड़ियों का बहुत होना शोरगुल पैदा करता है, ऐसे ही जिसके चित्त में भीड़ है, बड़ी आवाज होती है। जैसे कुंवारी लड़की के हाथ पर एक ही चूड़ी रह गई
और शोरगुल शांत हो गया, ऐसे ही जो अपने भीतर एक को उपलब्ध हो जाता है, भीड़ के पार, भीड़ जिसकी विसर्जित हो जाती है-वह भी ऐसी ही शांति को उपलब्ध हो जाता है।
कहा : 'बेटी तूने अच्छा किया! मुझे बड़ा बोध हुआ।'
जिसे बोध की तलाश है, उसे कहीं से भी मिल जाता है। जिसे बोध की तलाश नहीं है, वह बुद्ध-वचनों को भी सुनता रहे, ठीक बुद्ध के सामने बैठा रहे, तो भी कुछ नहीं है। बांसुरी बजती रहती है, भैंस पगुराती रहती है; उसे कुछ मतलब नहीं है।
न कदाचिज्जगत्यस्मिंस्तत्त्वज्ञो हंत खिद्यति। यत एकेन तेनेदं पूर्ण ब्रह्मांडमंडलम्।।
'हंत, शिष्य! तत्वज्ञानी इस जगत में कभी खेद को नहीं प्राप्त होता, क्योंकि उसी एक से यह ब्रह्मांड-मंडल पूर्ण है।'
यह वचन सीधा-सादा है, लेकिन बड़ा गहरा!
शायद तुमने ज्यां पाल सार्च का प्रसिद्ध वचन सुना हो जिसमें सात्र कहता है। 'दि अदर इज हेल।' दूसरा नरक है। दूसरे के कारण नरक है। जहां दूसरा है वहां कलह है। दूसरे की मौजूदगी ही कलह है। तो एक तो उपाय है, सस्ता उपाय, कि तुम दूसरे को छोड़कर भाग जाओ; लेकिन यह बड़ा सस्ता उपाय है, कहीं ज्यादा भाग न सकोगे! ___ मैंने सुना है एक आदमी भाग गया। वह जा कर बैठा एक झाड़ के नीचे बड़ा निश्चित कि अब यहां पत्नी भी नहीं, बेटे भी नहीं, अब कोई सताने वाला नहीं, अब परम ध्यान करूंगा! एक कौए ने
सहज ज्ञान का फल हे तप्ति
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