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है। जीसस ने कहा : हो जाओ फिर छोटे बच्चों की भाति! सहजता छोटे बच्चों की भांति हो जाना है। और वही अष्टावक्र का संदेश है, देशना है, कि जैसे हो वैसे ही, इसी क्षण घटना घट सकती है; सिर्फ एक बात छोड़ दो, अपने को कुछ और- और बताना छोड़ दो। जो हो, बस वैसे......|
शुरू में निश्चित कठिनाई होगी, लेकिन धीरे-धीरे तुम पाओगे, हर कठिनाई तुम्हें नए-नए द्वारों पर ले आई और हर कठिनाई तुम्हारे जीवन को और मधुर कर गई और हर कठिनाई ने तुम्हें सम्हाला और हर कठिनाई ने तुम्हें मजबूत किया, तुम्हारे भीतर बल को जगाया! धीरे- धीरे कदम-कदम चल कर एक दिन आदमी परिपूर्ण सहज हो जाता है। तब उसके जीवन में कोई दुराव नहीं रह जाता, कोई कपट नहीं रह जाता। इस जीवन को ही मैं धार्मिक जीवन कहता हूं।
हरि ओम तत्सत्!