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बच्चों के शरीर तो दुबले हो जाएंगे, पेट खूब बड़ा हो जाएगा। यह सबूत है कि बच्चा डरा है; कल रोटी मिलेगी या नहीं, इसका कुछ पक्का नहीं है। फिर यही भय पूरे जीवन पर फैल जाता है।
धन यानी रोटी | धन यानी दूध । धन यानी कल का भरोसा । धन यानी कल की सुरक्षा | आदमी बैंक में बैलेंस रखता है, इंश्योरेंस करवाता है- वह कल का इंतजाम कर रहा है। वह यह कह रहा है, कल की फिक्र नहीं रहेगी। कल बूढ़े हो जाएं, बीमार हो जाएं- कोई फिक्र नहीं, पैसा पास में है तो सब सुरक्षा है। वह कहता है, प्रेम न भी हो तो चलेगा, पैसा तो होना ही चाहिए। प्रेम को क्या खाओगे, पीयोगे - क्या करोगे? फिर वह कहता है कि पैसा होगा तो प्रेम तो बहुत मिल जाएगा। जिसको पैसे का पागलपन होता है, वह सोचता है हर चीज पैसे से खरीदी जा सकती है। नहीं, जीवन में कुछ महत्वपूर्ण चीजें हैं, जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकतीं। सच तो यह है, जो भी महत्वपूर्ण है वह पैसे से नहीं खरीदा जा सकता - न प्रेम, न प्रार्थना, न परमात्मा । जीवन में जो क्षुद्र है और व्यर्थ है, वही पैसे से खरीदा जा सकता है। पैसा स्वयं क्षुद्र है। क्षुद्र से क्षुद्र ही मिल सकता है। तो आदमी इकट्ठा करता जाता है। वह कहता है : प्रेम कल कर लेंगे, आज तो पैसा इकट्ठा कर लूं। कल निश्चित हो जाएंगे, फिर प्रेम कर लेंगे, फिर गीत गा लेंगे, फिर वीणा बजा लेंगे, फिर विश्राम करेंगे- आज तो कमा लूं! कल को हम कहते हैं, छोड़ो, आज कमा कर कल का इंतजाम कर लें। कल भी आज की तरह आएगा। फिर भी तुम यही करते रहोगे कि कल के लिए कमा लें, कल के लिए कमा लें। एक दिन मौत आ जाती है और कल कभी नहीं आता। धन का ढेर बाहर लग जाता है, और तुम नंगे भिखारी हो जाते हो। धन का ढेर लग जाता है, भीतर निर्धनता गहरी हो जाती है, भीतर घाव ही घाव हो जाते हैं। धीरे- धीरे तुम प्रेम करना भूल ही जाते हो।
धन, अर्थ अनर्थ है। इसे पहचानना । मैं तुमसे यह नहीं कह रहा हूं कि धन को छोड़ कर भाग जाओ। मैं तुमसे सिर्फ इतना कह रहा हूं कि जाग जाओ। धन का उपयोग है। मैं कोई अराजकवादी नहीं हूं और न धन-विरोधी हूं । धन का उपयोग है। धन की बाह्य उपयोगिता है। लेकिन धन से अपने को भरने की चेष्टा मत करना; वह नहीं हो सकता; वह असंभव है। असंभव को करोगे तो जीवन नष्ट हो जाएगा, अनर्थ हो जाएगा।
धन से कुछ चीजें मिलती हैं, जरूर मिलती हैं और उन चीजों का मूल्य भी है, लेकिन उन चीजों से कोई तृप्ति नहीं मिलती ।
जीसस का वचन है : मैन कैन नॉट लिव बाइ बेड अलोन। आदमी अकेली रोटी से नहीं जी सकता। दूसरा वचन भी जोड़ा जा सकता है कि आदमी बिना रोटी के भी नहीं जी सकता; वह सच है। रोटी चाहिए, लेकिन रोटी पर्याप्त नहीं है; रोटी से कुछ ज्यादा चाहिए। जिस दिन तुमने समझा कि धन पर्याप्त है, उस दिन अनर्थ हुआ। जब तक तुमने समझा कि धन की उपयोगिता है एक सीमा तक और तुम सीमा के भीतर सजग रहे- फिर कोई हर्ज नहीं है। तो तुमने धन का उपयोग किया और धन ने तुम्हारा उपयोग नहीं किया। तुम मालिक रहे और धन मालिक न हुआ। संक्षिप्त में कहें तो ऐसा कह सकते हैं. जब अर्थ तुम्हारा मालिक हो जाए तो अनर्थ हो गया। जब अर्थ के तुम मालिक