________________
जीतने में मनुष्य के भीतर छिपा हुआ फूल खिलेगा। जिससे सब हार गए हों उसको ही जीतने में तुम्हारे भीतर पहली दफे प्रभु का साम्राज्य निर्मित होगा।
भारत अकेला देश है, जहां हमने बुद्धपुरुषों के चरणों में देवताओं को झुकाया है। जब सिद्धार्थ गौतम बुद्धत्व को उपलब्ध हुए तो कथा है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश, तीनों उनके चरणों में अपना नैवेद्य, अपनी पूजा चढ़ाने आए। जब महावीर परम ज्ञान को उपलब्ध हुए तो देवताओं ने फूल बरसाए। लेकिन देवता क्यों बरसाते होंगे फूल एक मनुष्य के चरणों में? इसलिए कि यह मनुष्य उस सीमा के भी पार जा चुका, जिस सीमा के पार अभी देवता भी नहीं गए। अभी इंद्र भी अप्सराओं में उलझा है। अभी स्वर्ग में भी वही काम - व्यापार चल रहा है, जो पृथ्वी पर चल रहा है। थोड़ा व्यवस्थित चल रहा है, थोड़ा ढंग से चल रहा है; ज्यादा सुंदर स्त्रियां हैं, ज्यादा सुंदर देह है, ज्यादा लंबी आयु है, भोग की सब सुविधाएं, सामग्रियां हैं।
जो हमने स्वर्ग में देवताओं के लिए व्यवस्था की है, वही व्यवस्था विज्ञान आदमी के लिए पृथ्वी पर कर देने की कोशिश कर रहा है।
कि
मैं तो सुना है, एक आदमी मरा और स्वर्ग पहुंचा। तो वह बड़ा हैरान हुआ। वहां उसने देखा कुछ लोग जंजीरों से बंधे हैं। स्वर्ग में जंजीरों से बंधे हैं! उसने द्वारपाल से पूछा कि यह तो मुझे घबड़ाहट का कारण मालूम होता है। नरक में बंधे हों, यह समझ में आता है। यह स्वर्ग में भी अगर बंधन हैं और लोग जंजीरों से बंधे हैं- यह किस तरह का स्वर्ग है 1:
वह द्वारपाल हंसने लगा। उसने कहा, ये अमरीकी हैं। ये जब से आए हैं, तब से यह धुन लगाए हैं कि हमें अमरीका वापिस जाना है, यहां से तो वहीं बेहतर था ।
विज्ञान कोशिश कर रहा है कि स्वर्ग को जमीन पर घसीट लाए; लेकिन जमीन पर विज्ञान स्वर्ग ले आए, तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता । तुम्हारी कामवासना को कितनी ही तृप्ति की सुविधा जुटा दी जाए, तृप्ति नहीं होगी। क्योंकि कामवासना का स्वभाव अतृप्ति है। जो मिल जाता है, उससे ही अतृप्ति हो जाती है। जो नहीं मिला, उसी में रस होता है। काम के इस स्वभाव को समझो - यही उसका बंधन है, यही उसका वैरी - रूप है।
जो मिल जाता है, वही व्यर्थ हो जाता है। जिस स्त्री को तुम चाहते थे, मिल गई; जिस पुरुष को तुमने चाहा, मिल गया - बस, तत्क्षण तुम किसी और की चाह में लग गए।
बायरन, अंग्रेजी का कवि हुआ । उसका अनेक स्त्रियों से संबंध था। सुंदर पुरुष था प्रतिभाशाली पुरुष था, और महीने - दों - महीने से ज्यादा उसका संबंध नहीं चलता था। लेकिन एक स्त्री ने उसे बिलकुल मजबूर कर दिया विवाह करने को। उसने कहा, विवाह नहीं किया तो हाथ भी नहीं छुऊंगी। और वह दीवाना हो गया उसे अपने करीब लेने को । आखिर विवाह के लिए राजी होना पड़ा। जब वह विवाह हो गया और चर्च से बायरन उतरता था अपनी नई विवाहित पत्नी का हाथ पकड़े हुए सीढ़ियां पार कर रहा था, ठिठक कर खड़ा हो गया। उसने अपनी पत्नी से कहा, आश्चर्य! मैं तेरे लिए दीवाना था, महीनों सोया नहीं, और अभी क्षण भर के लिए तेरा हाथ मेरे हाथ में है, लेकिन तेरी मुझे सुधि