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एक फूल का खिल जाना ही उपवन का मधुमास नहीं है।
और एक पहरे का सो जाना ही
मुक्ति का आभास नहीं है। इसलिए जनक का यह जो आनंद है, इसको अष्टावक्र ने चुपचाप स्वीकार नहीं कर लिया। इसकी वे बड़ी कसौटी करने लगे। कहीं ऐसा तो नहीं है कि बहुत दिन का भूखा-प्यासा रूखी-सूखी रोटी पा गया है और समझ रहा है कि मिल गया अंतिम ? ऐसा तो नहीं है कि बहुत थका मादा धूप का, जरा-सी छाया में बैठ गया है-चाहे खजूर के वृक्ष की छाया ही क्यों न हो-और सोचता है, आ गया कल्पवृक्ष के नीचे न: क्योंकि हम जो भी देखते हैं, वह हमारे अतीत अनुभव से देखते हैं।
एक गरीब आदमी को एक रुपया पड़ा हुआ मिल जाए तो आलादित हो जाता है। अमीर को एक रुपया पड़ा हुआ मिले, तो कुछ भी पड़ा हुआ नहीं मिला। रुपया वही है लेकिन गरीब अपने अतीत से तौलता है, अमीर अपने अतीत से तौलता है। बहुत है उसके पास उसमें एक रुपये के जुड्ने से कुछ भी नहीं जुड़ता। गरीब के पास कुछ भी नहीं है; उसमें एक रुपये का जुड़ जाना, जैसे सारे जगत की संपदा का जुड़ जाना है। रुपया तो वही है, लेकिन हमारी प्रतीति तुलनात्मक और साक्ष होती है। हम अपने ही अनुभव से देखते हैं।
मैं कल एक छोटी-सी कहानी पढ़ता था। एक भूतपूर्व महाराजा ने अपने संस्मरणों में लिखी है, कि उन्होंने एक नए नौकर को नौकरी पर रखा। और उसे हुक्म दिया : झिनक पीकदान उठा कर ला। झिनकू की समझ में नहीं आया। पीकदान शब्द उसने कभी सुना ही नहीं था। थूकने के लिए भी स्वर्णपात्र होते हैं, यह उसका अनुभव न था। कोने में ही रखा है स्वर्णपात्र हीरे-जवाहरातो से जड़ा। सम्राट ने फिर कहा कि समझ में नहीं आया रे? अबे, वह कोने में जो स्वर्णपात्र रखा है, उसे उठा कर ला।
झिनकू ने पीकदान में झांक कर देखा और बोला. तनिक रुको हजूर! एह में कौन्हों मूरख यूकी मरा है। मेहंतरवा बुलाई...।
पीकदान गरीब का अनुभव नहीं है! वह तो कहीं भी थूकता रहता है; सारी पृथ्वी पीकदान है। और स्वर्णपात्र! यूकने के लिए सोने का पात्र!
हम अपने अनुभव से तौलते हैं। हम जो भी व्याख्या करते हैं जीवन की, वह व्याख्या हमसे आती
तो अष्टावक्र सोचते हैं. जनक ने कभी जाना नहीं यह अहोभाव, यह आश्चर्य, यह अपूर्व घटना कभी घटी नहीं-कहीं ऐसा तो नहीं है, एक फूल के खिल जाने को मधुमास का आगमन समझ बैठा हो?
जिसने फूल देखे ही नहीं, जो मरुस्थलों में ही जीया हो, वह एक फूल के आगमन को भी मधुमास समझ सकता है। उसके भीतर की भूख धोखा दे सकती है। इसी तरह तो मृग-मरीचिका पैदा होती