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पूछना है, बच्चों से पूछना है, अभी तो लड़की की शादी करनी है, अभी लड़के की शादी करनी है; यह करना वह करना दुकान।
मैं उनसे कहता हूं : मैं तुमसे लड़की न छोड़ने को कहता हूं न लड़का न पत्नी न दुकान-मैं तुमसे कुछ छोड़ने को कहता ही नहीं। और मैं तुमसे यह भी नहीं कहता कि तुम संन्यास के संबंध में सोचो, तब लेना। सोच कर लिया, चूक गए। क्योंकि सोचने में तो तुम्हारा निर्णय हो जाएगा। मैं तो कहता हूं : अहोभाव से लेना। उठ गया हो भाव तो ले लेना। सोचना मत। सोचने की प्रक्रिया मत चलाना। जब घटता हो तो घट जाने देना, न घटे तो कोई चिंता की बात नहीं- थोपना मत।
कुछ लोग आते हैं, जो इसी सहजता से लेते हैं। कुछ लोग आते हैं, उनसे मैं कहता हूं कि क्या इरादे हैं संन्यास के? वे कहते हैं. आपकी मर्जी! आप अगर मुझे योग्य समझें तो दे दें।
यह बात और हुई। यह बात ही और हो गई। इसका मूल्य बड़ा अलग हो गया। वे कहते हैं आप अगर योग्य समझें तो मुझे दे दें। संन्यास मैं कैसे लूंगा? आप देते हों तो दे दें।
इस व्यक्ति ने ठीक से समझा संन्यास का अर्थ। जो होता हो, जो घटता हो, उसे घट जाने देना- बिना ना-नुच के, बिना अपनी बाधा डाले, बिना अपनी पसंद नापसंद डाले।
तो तुम पूछते हो : बाजार चुनें कि जंगल न:
मैं कहता हूं : चुने कि फंसे! चुने कि बाजार में रहे। जंगल जाओ या कहीं भी जाओ, चुने कि बाजार में रहे। न चुना और बाजार में भी रहे तो आ गया जंगल।
जहां तुम बाजार देख रहे हो, वहां कभी जंगल थे और फिर जंगल हो जाएंगे। और जहां तुम जंगल देख रहे हो, वहां बाजार कई दफे बन चुके हैं और उजड़ चुके हैं। जंगल और बाजार में कोई बड़ा फर्क नहीं है।
इब्राहीम एक मुसलमान सम्राट, संन्यासी हो गया। अचानक निकल गया राजमहल से। द्वारपाल रोकने लगे। उसने कहा, हटो भी! तुम्हें मैंने यहां दवारों पर खड़ा किया था कि किसी को भीतर मत आने देना, मुझे रोकने को नहीं। रास्ता दो।
वे उससे हाथ जोड़ने लगे कि आप यह क्या कर रहे हैं? हमें खबर मिली है कि आप संन्यासी हो रहे हैं। आप क्यों यह महल छोड़ रहे हैं?
इब्राहीम ने कहा. छोड़ रहा हूं? बात ही गलत है। यहां कुछ छोड़ने योग्य है ही नहीं, इसलिए जा रहा हूं। न पकड़ने योग्य है न छोड़ने योग्य है।
इब्राहीम चला गया और गांव के बाहर रहने लगा। वह बल्क का राजा था। उसने मरघट के पास एक चौरस्ते पर अपना निवास बना लिया। लोग उस चौरस्ते से आते, राहगीर, और उससे पूछते कि बस्ती कहां है, तो वह मरघट का रास्ता बता देता। दोनों तरफ रास्ते जाते थे। और उसकी बात मान कर लोग चले जाते। बड़ा शांत फकीर था, शाही आदमी था! उसके चेहरे की ज्ञान और रौनक, उसके