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मर रहा था, मुझे चौबीस घंटे उसकी सेवा करनी पड़ी। वह बच गया, मैं खुश हूं। मुझे जो आपकी सेवा का मौका मिलता था, वह नहीं मिलेगा, लेकिन मैं प्रसन्न हूं। मेरी कोई शिकायत नहीं।
और नागार्जुन ने इसी आदमी को चुन लिया। और नागार्जुन के और दूसरे सहयोगी थे, वे कहने लगे कि यह आप क्या कर रहे हैं? जो आदमी रसायन बना कर ले आया है, उसको नहीं चुन रहे? नागार्जुन ने कहा, जीवन का मूल्य रसायन से ज्यादा है। यह रसायन-वसायन तो ठीक है मगर जीवन का मूल्य...। इस आदमी के पास पकड़ है। यह जानता है कि कौन-सी चीज ज्यादा मूल्यवान है-बस, यही तो रहस्य है। सार और असार में इसे भेद है।
अब एक आदमी का बच्चा मर रहा है, वह तुम्हारी फिक्र करे कि चोरी नहीं करनी चाहिए? वह चिंता करे इस बात की? व्यक्तिगत संपत्ति को समादर दे? वह फिक्र नहीं करता। वह कहता है, चोरी हो जाए, चाहे मैं जेल चला जाऊं, बच्चे को बचाना है।
तो पाप में भी कहीं तो थोड़ा पुण्य है। दो आदमी अगर साथ-साथ चोरी भी करते हैं तो कम से कम एक-दूसरे को तो दगा नहीं देते। उतनी तो ईमानदारी है। वे भी मानते हैं, आनेस्टी इज द बेस्ट पालिसी। आपस में तो कम से कम। किसी और के साथ न मानते हों, लेकिन ईमानदारी एक-दूसरे के साथ बरतते हैं। उतना तो पुण्य है।
तुम ऐसा कोई पाप का कृत्य नहीं खोज सकते जिसमें पुण्य न हो।
एक चोर पकड़ा गया, तो मैजिस्ट्रेट बड़ा हैरान था। उसने कहा कि हमने सुना कि तुम नौ दफे रात में इस दुकान में घुसे!
उसने कहा, और क्या करूं हुजूर? अकेला आदमी, पूरी दुकान ढोनी थी!
तो मैजिस्ट्रेट ने कहा कि तो कोई संगी-साथी नहीं? उसने कहा कि जमाना बड़ा खराब है। संगी-साथी किसको बनाओ? जिसको बनाओ वही धोखा दे जाता है।
चोर भी कहता है कि जमाना खराब है और आप तो जानते ही हैं। संगी-साथी किसको बनाओ? चोरी भी करनी हो तो भी जमाना अच्छा होना चाहिए। किसी को धोखा देना हो तो भी। उस आदमी में इतनी, जिसको तुम्हें धोखा देना है, इतनी भलमनसाहंत तो होनी चाहिए कि भरोसा करे। पाप और पुण्य गुंथे पड़े हैं। साथ-साथ जुड़े हैं। न तो तुम पुण्य कर सकते हो बिना पाप किए न तुम पाप कर सकते हो बिना पुण्य किए।
सुख न सहचरी, लुटेरा भी हुआ करता है खुशी में गम का बसेरा भी हुआ करता है। अपनी किस्मत की स्याही को कोसने वालो,
चांद के साथ अंधेरा भी हुआ करता है। वे सब जुड़े हैं। इसलिए अगर तुम एक से बचना चाहोगे तो तुम ज्यादा से ज्यादा दूसरे को छिपा सकते हो, लेकिन दूसरे से भाग नहीं सकते।
पाप-पुण्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सिक्का जाएगा तो पूरा जाएगा आधा नहीं बचाया