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अन्नत्थणा भोगेणं, सहसा गारेणं, लेवालेवेणं, गिहत्थसंसटेणं, उक्खित्तविवेगेणं, पडुच्चमक्खिएणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं और सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, ये ९ आगार विगइ और नीवि के पच्चक्खाण में होते हैं। और पडुच्चमक्खिएणं के अलावा ८ आगार आयंबिल में आते हैं। ॥२०॥ अन्न सह पारि मह सव्व, पंच खवणे छ पाणि लेवाई; चउ चरिमंगुट्ठाई, भिग्गहि अन्न सह मह सव्व ॥ २१ ॥
क्षपण में (उपवास में) अन्नत्थणाभोगेणं - सहसागारेणं पारिट्ठावणियागारेणं - महत्तरागारेणं और सव्वसमाहि वत्तियागारेणं ये ५ आगार होते हैं । पानी के प्रत्याख्यान में लेवेण वा आदि ६ आगार (लेवेण वा- अलेवेण वा-अच्छेण वा- बहुलेवेण वा-ससित्थेण वा असित्थेणवा ये ६ आगार) तथा चरिम प्रत्याख्यान में और अंगुट्ठसहियं आदि अभिग्रह के (संकेत विगेरे) प्रत्याख्यानोमें अन्नत्थणा भोगेणं सहसागारेणं-महत्तागारेणं और सव्वसमाहि वत्तियागारेणं ये ४ आगार होते हैं । ॥२१॥ दुद्ध महु मज्ज तिल्लं, चउरो दवविगई चउर पिंडदवा; घय गुल दहियं पिसियं, मक्खण पक्कन्न दो पिंडा ॥२२॥ __दूध, शहद, मदिरा, और तेल ये चार द्रव (प्रवाही) विगइ है तथा घी, गुड, दहि, और मांस ये ४ पिंड द्रव
श्री पच्चक्खाण भाष्य