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से चलनेवाले, तथा भुजाओं से चलने वाले । वे संक्षेप से (अनुक्रम से) गाय - बैल, सांप, न्योला आदि जानना चाहिये ॥ २१ ॥ खयरा रोमयपक्खीय, चम्मयपक्खी य पायडा चेव, । नरलोगाओ बाहिं, समुग्गपक्खी विययपक्खी ॥ २२ ॥
रोमों से बने हुए पंखों वाले, और चमड़े से बने हुए पंखों वाले पक्षी खेचर प्रसिद्ध हैं । मनुष्यलोक (अढाई द्वीप) से बाहर डब्बे के समान सिकुड़े हुए पंखों वाले (तथा) फैले हुए पंखों वाले (पक्षी) होते हैं ॥ २२ ॥ सव्वे जल-थल-खयरा, समुच्छिमा गब्भया दुहा हुँति, । कम्मा-कम्मगभूमि-अंतरदीवा मणुस्सा य ॥ २३ ॥
___ सब (हरेक प्रकार के) जलचर, स्थलचर, खेचर, (जीव) दो प्रकार के सम्मूच्छिम (और) गर्भज होते हैं । (तथा) कर्मभूमि, अकर्मभूमि, एवं अन्तर्वीप में उत्पन्न हुए मनुष्य हैं ॥ २३ ॥ दसहा भवणाहिवई, अट्ठविहा वाणमंतरा हुति, । जोईसिया पंचविहा, दुविहा वेमाणियादेवा ॥ २४ ॥
___ दस प्रकार के भवनपति, आठ प्रकार के वाणव्यंतरे हैं, ज्योतिष पांच प्रकार के और वैमानिक देवो दो प्रकार के हैं ॥ २४ ॥
जीवविचार