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________________ २९९ 5 [ सू० १५८] कुलकर-तीर्थकर-चक्रवर्ति-वासुदेव-बलदेवादिनामानि । सेणिय सुपास उदए, पोटिल अणगारे तह दढाऊ य । कत्तिय संखे य तहा, णंद सुणंदे सतए य बोधव्वा ॥१५३।। देवई चेव सच्चति तह वासुदेवे बलदेवे । रोहिणि सुलसा चेव य तत्तो खलु रेवती चेव ॥१५४।। तत्तो हवति मिगाली बोधव्वे खलु तहा भयाली य । दीवायणे य कण्हे तत्तो खलु नारए चेव ॥१५५।। अंमडे दारुमडे या सातीबुद्धे य होति बोधव्वे । उस्सप्पिणि आगमेसाए तित्थकराणं तु पुव्वभवा ॥१५६॥ एतेसि णं चउवीसं तित्थकराणं चउवीसं पितरो भविस्संति, चउवीसं मातरो भविस्संति, चउवीसं पढमसीसा भविस्संति, चउवीसं पढमसिस्सिणीतो 10 भविस्संति, चउवीसं पढमभिक्खादा भविस्संति, चउवीसं चेतियरुक्खा भविस्संति । ___ जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे आगमेसाए उसप्पिणीए बारस चक्कवट्टी भविस्संति, तंजहाभरहे य दीहदंते गूढदंते य सुद्धदंते य । 15 सिरिउत्ते सिरिभूती सिरिसोमे य सत्तमे ॥१५७॥ पउमे य महापउमे विमलवाहणे विपुलवाहणे चेव । रिटे बारसमे वुत्ते आगमेसा भरहाहिवा ॥१५८।।। एतेसि णं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस पितरो भविस्संति, बारस मातरो भविस्संति, बारस इत्थीरयणा भविस्संति । 20 जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिणीए णव बलदेव-वासु- । देवपितरो भविस्संति, णव वासुदेवमातरो भविस्संति, णव बलदेवमातरो भविस्संति णव दसारमंडला भविस्संति, तंजहा- उत्तिमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी एवं सो चेव वण्णतो भाणियव्वो जाव नीलगपीतगवसणा दुवे दुवे राम-केसवा भातरो भविस्संति, तंजहा 25
SR No.032089
Book TitleSamvayang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size27 MB
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