SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११३ आदिनाथ भगवान के तेरह भव (१) धनसार्थवाह (२) उत्तरकुरुक्षेत्र युगलिक (३) सौधर्म देवलोक (४) महाबल राजा (५) इशान देवलोक (६) वज्रजंघ (७) उत्तर कुरुक्षेत्र युगलिक (८) सौधर्म देवलोक (९) जीवानंद वैद्य (१०) अच्युत देवलोक (११) वज्रनाभ चक्रवर्ती (१२) सर्वार्थ सिद्ध (१३) ऋषभदेव ११४ चन्द्रप्रभ भगवान के सात भव (१) चर्मरुप (धर्मराजा) (२) सौधर्म देवलोक (३) अजितसेन राजा (४) अच्युत देवलोक (५) पद्मराजा (६) विजयन्त देवलोक (७) चंद्रप्रभ भ. ११५ शांतिनाथ भगवान के बारह भव (१) श्रीषेण राजा (२) उत्तरकुरुक्षेत्र में युगलिक (३) सौधर्मेन्द्र (४) अमितगति विद्याधर (५) प्राणतदेवलोक (६) बलभद्र राजा (७) अच्युत देवलोक (८) वज्रयुद्ध चक्री (९) ग्रैवेयक देवलोक (१०) मेघरथराजा (११) सर्वार्थसिद्ध देवलोक (१२) शांतिनाथ भ. ११६ मुनिसुव्रत स्वामी भगवान के नव भव (१) शिवकेतुराजा (२) सौधर्मेन्द्र देवलोक (३) कुबेरदत्त (४) सनत्कुमार देवलोक (५) वज्रकुंडलराजा (६) ब्रह्म देवलोक (७) श्री वर्म राजा (८) अपराजित देवलोक (९) मुनिसुव्रत स्वामी भ. ११७ नेमिनाथ भगवान के नव भव (१) धनराजा (२) ब्रह्म देवलोक (३) चित्रगति विद्याधर ( ४ ) माहेन्द्र देवलोक (५) अपराजीत राजा (६) आरण्य देवलोक (७) शंखराजा (८) अपराजीत देवलोक (९) नेमनाथ भ. ४२
SR No.032087
Book TitleTirthankar Vandana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnatrayvijay
PublisherRanjanvijayji Jain Pustakalay
Publication Year2006
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy