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प्रास्ताविक वीरधवल अने भीमसिंह नामना बे भाइओने प्रतिबोधी पोताना शिष्यो कर्यानो उल्लेख गुर्वावलीमा मले छे. तेमांना प्रथम शिष्यनुनाम श्री विद्यानंदसूरि छे. तेओश्रीना बीजा शिष्य श्री धर्मघोषसूरि हता. तेओ पण विशुद्ध चारित्रशील अने विशिष्टप्रभावक पुरुष हता. तेओश्रीना रचेला संघाचारभाष्य अने यमक स्तुतिओ वगेरे अनेक ग्रंथो विद्यमान छे. पू० आ० श्री देवेन्द्र मूरिओ रचेल स्वोपज्ञ टीका युक्त नव्य पंच कर्मग्रंथ आदि ग्रंथोनु संशोधन आ. श्री विद्यानंदमूरिजीए कयु हतु. ते हकीकत ते ते कर्मग्रंथने अंते आपेली प्रशस्ति उपरथी जाणी शकाय छे.
ग्रंथरचनाः-पू० आ० श्री देवेन्द्रसूरिजी महाराजश्रीए प्राकृत अने संस्कृतभाषामां बनावेला जे ग्रंथो अत्यारे जोवामां आवे छे, तेनां नाम आ प्रमाणे छे. १ श्राद्ध-दिनकृत्यवृत्ति
२ सटीक पांच नव्यकर्मग्रंथ ३ सिद्धपंचाशिकासूत्रवृत्ति,
४ धर्मरत्नप्रकरण वृहद्वृत्ति ५ सुदर्शनाचरित्र,
६ चैत्यवंदनादि भाष्यत्रयम् ७ वंदारुवृत्ति (वंदित्ता-सूत्रटीका) ८ सिरिउसह-वद्धमाणप्रमुखस्तव. ह सिद्वदंडिका
१० चत्तारि-अट्ठ-दस. गाथा विवरण ११ श्री उत्तराध्ययनवृत्तिः आ सिवाय बीजा ग्रंथो पण तेमणे रच्या होवानो संभव छे.
वतमान कालीन कर्मसाहित्य जे भारतीय-प्राच्य-तत्त्व-प्रकाशन समिति तरफथी आ ग्रंथनुप्रकाशन थइ रहयुछे. ते संस्था मारफत सिद्धांत महोदधि कर्मशास्त्र निष्णात स्व. प. पू. आचार्यदेवश्री विजयप्रेमसूरीश्वरजी महाराज साहेबना मार्गदर्शन नीचे तेओश्रीना शिष्य-प्रशिष्योए कर्मसाहित्यविषयक नीचे मुजब ग्रंथो यार कर्या छे. अने आ संस्था तरफथी ते ते ग्रंथोनु प्रकाशन थयेल छे. १ खवगसेढी स्वोपज्ञवृत्ति सहित
क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ५६६ २ ठिइबंधो (मूलप्रकृति स्थितिबन्ध) क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ६७२ ३ रसबन्धो (मूलप्रकृति रसबन्ध)
क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ६१५ ४ पएसबन्धो (मूलप्रकृति प्रदेशबन्ध) क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ५३५ ५ उत्तरपयडिरसबंधो (पूर्वार्ध)
क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ६८२ ६ उत्तरपयडिठिइबंधो (पूर्वार्ध)
क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ६२० ७ उत्तरपयडिबन्धो (पूर्वार्ध)
क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ६२४ ८ उत्तरपयडिपएसवन्धो (पूर्वार्ध)
क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ४८० ९ मूल पयडिबन्धो
क्राउन आठ पेजी पृष्ठ ५६२ १० उत्तरपयडिपएसबन्धो (उत्तरार्द्ध) क्राउन आठ पेजी २६८+२६४५६६