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. श्री खरतर गंड शुध समाचारी.
१२५ पहली तिथ गेडकै दूशरी तिथ करणा युक्त नहीं। ( और ) कार्तिक माश व? (तो) पहले कार्तिक चौमाशो करै ॥ फाल्गुण वढे (तो) दूसरै फाल्गु पा. चौमाशो करै । आशाढ व ( तो.) दूशरै आशाढ चौमाशो करै । आशा ढ चौमाशै की १४ चौदशसें । पञ्चासे दिने चौथकों संबहरी पर्ब करै । चौथ कम हो (तो) ५ पांचमकै दिन संवबरी करै । श्रावण । भाद्रवो। आसोज । व? (तो) पंचमाशी चौमाशो करै (जो) श्रावण माश वटै (तो) दूशरै, श्रावण शुद ४ को संवबरी करै ( पर ) चौमाशे की चौदशसें पंचास दिन नवंघकै, संबहरी पर्व कदापि कालै न हो, यह कल्पसूत्र जीकै पह ली समाचारीमें प्रसिघ पाठ है, (और) चौमा0 में, श्रावण । लाद्रवो । आशोज । यह तीन माश बढ़े तो पंचमाशी चौमाशो करै । (और) जो माश दोहोय (नसमें) पहला माशका कृष्णपद । (दूशरै माशका शुल्क पर । (ऐसें ) एक माश में जो कल्याणक तिथी हो । नसीका व्रत पञ्चक्खाण करे । बीचका ३० दिन लुंम जाणना । यह तीश दिनमें कल्याणकादि क के ब्रत पच्चक्खाण न हो शकै ( इसीसें ) बिबेकी जीव सब तिथीका वि चार समझकै व्रत पचक्खाण करै (तो) व्रत जंग कनी नहो ॥॥ यह तिथोंका परमाण श्रीहरिजद्र सूरजी महाराजकै किया हुवा । तत्वः तरंगणी ग्रंथमें प्रशिघहै (सो) इहां किंचित् लिखते हैं॥ ॥ ..
॥ ॥ तिहि पमणे पुव तिही । कायबा जुत्त धम्म कोय । चाउदसी विलोवो । पुन्नमिय पक्खि पमिक्कमणं ॥ १ ॥ तत्थेव पोसह विही । कायबा सबगेहि सुह हेऊ । नहु तेरसी कीरई । जह्मा नाणाइणो दोसा ॥ २ ॥ सूरोदय पडियावि । तेरसी हुँति न पक्खियं कुझा । चानम्मासिय करणे । एसबिही देसिन समणा ॥३॥ तिहि बुट्ठीए पुवा । गहिया पमि पुन्न लोग सं जुत्ता । इयरावि माणणिका । परं थोवत्ति तत्तुना ॥४॥॥.. .. ॥ ॥ ( तथा ) ज्योतिषकरंड पाहुमके इदं कथितमस्ती ॥॥ उछि सहिया न अध्मी । तेरसि सहिया न पख्खिया होई । पडिवै सहियान कयावि । इइ नणिया वीयरागेण ॥१॥ अहमि दिनंमि पायं । कायवा अ मीय पाएण । कइयावि सत्तमंमि । नवमी उही न कायबा ॥ २ ॥ पनरस