________________
जलयात्रा अंगसुधी मंत्रविधि. बंधाके अंग सुद्धी करावे (पीने) कलमख दह २ स्वाहा ॥ इस मंत्रकों ७ वेर गुणाके चित्त निर्मल करै। पीने आत्म रक्षा करावै ॥ ( यथा ) नक्षी णमो अरिहंताणं पादौरदाः २॥क्षी णमो सिद्धाणं कटिं रक्तः २॥नक्षी णमो आयरियाणं नाजिरतः २॥ शी एमो नवशायाणं हृदयं रक्षः २॥
शी णमो लोएसबसाहूणं ब्रह्मांम रदः २॥ नझी एसो पंचणमुक्कारो शिखां रदः २॥नशी सब पावप्पणासणो आसनं रतः २॥नक्षी मंग लाणंचसबेसि आत्मचा रतः २॥नक्षी पढमहवइ मंगलं परचक्नु रतः२॥ स्वाहा।। परमेष्टी नमस्कारं० इत्यादिकसें आत्म रहा अपनी करै (तथा) स्मात्रीयादिककी करावै, पीछे नवग्रह, दश दिग्पालकी स्थापना करें, वलबाकुलादि चढावै, दूसरे दिन सर्व संघ अलावस्त्र आनूषण धारन करके नानाप्रकारका बाजित्र महोबव इंद्र ध्वजादि पूर्वक लगवानकों रथमें (वा) पालखी आदिकमें अहा जलाश्रयके स्थानक गायन नक्ति करता हुवा जिनशाशनकी नन्नति करता हुवा आवै अंग सुद्धी कराके ज ल कलशा जरावै ॥॥
॥ ॥
॥ ॥ ॥ * ॥अथ अंग सुद्धी जल पूजन मंत्र विधि॥॥
क्षी अमृतोद्भवे अमृतवर्षणी अमृतं श्रावय २ स्वाहा ॥ इस मंत्रसे ७ वेर दातण स्नान करनेकों जल मंत्रीजै ॥ इति जल मंत्रः॥ ॥
॥ ॥ क्षी यवसेनाधिपतयेनमः ॥ इस मंत्रसें सातवेर मंत्रके दांतण करें॥ इति दांतण मंत्रः॥नधी श्री क्ली कामदेवाविपति ममानीप्सितं पूरय र स्वाहाः इस मंत्रसे ७ वेर पढके मुख धोवे ॥ इति मुख धोवण मंत्रः॥
नक्षी अमले विमले विमलोद्भवे सर्व तीर्थ जलोपमे पांपां वांवां अशुचि शुचिनवामि स्वाहाः॥ इस मंत्रकों सातवेर पढके पूर्व मंत्रित जलसें स्नान करै ॥ इति स्रान मंत्रः॥ ॥नकी आँ को नमः॥ इस मंत्रसें ७वेर मंत्रा हुवा वस्त्र धोती उत्तरासण धारण करै ॥ इति वस्त्र मंत्र ॥ाँ झी को प्रहतेनमः॥इस मंत्रसे ७ वेर केशर चंदनादिक मंत्र के तिलक करै ।। 1080शी अवतर २ सोमे २ कुरु २ वल्गु २ निवल्गु २ सुमणे सोमणसे महु महुरे 3 कवलिकः कः स्वाहाः ॥ इस मंत्रसें मेंटल मोली