________________
वधावा गुंहली संग्रह. वधतै बूर । हरो संघ सकन पुःखदूर ॥ सु० ८॥गोरीमिल मंगल गावै । जर मोत्यांथाल वधावै । वा लावण्य कमल सुख पावै ॥ सु०॥९॥8) इति देशना॥ ॥
॥ ॥
॥ ॥ ॥ अथ वधावो॥॥ ॥ ॥ मृगापुत्र गोखै रतन जडावहो (ए चाल)॥॥
श्री जिनचंद सूरीसरू । सुगुरु ह्मांरा । श्री खरतर गढ रायहो। श्री . जिनलाल पाटो धरू। सुगुरुह्मारा। दिनर सोन सवायहो॥१॥मारासहिजसो जागी। मांरा सुन गुणरागी । ह्मांराहितधरू । सुगुरु मारा देशनाद्यो मनरंग हो। संघ सहु नडक थयो ।मु०॥ सुणवा अमृत वाणहो । बहिला बंबित पूरहो। सुगु०॥थेगे अवसर जांणहो ।शामांरा० ॥ सूर किरण धर संचरया मु०॥विकस्या कमल कलापहो। राग विनास प्रमुख तणा ॥ सुगु०॥हो य रह्या आलापहो झारा० ॥३॥ पंच सबद कालरतणा ॥ सु०॥ में गलनाद नच्चारहो। इम बहु विध नू मंमलै॥ सु०॥ वरत्या जय २ कार हो॥ मारा ॥४॥ संघसकल जगते करी। सु० ॥ जोवे थांरी वाटहो । नीं वे पधारो गढ पति ॥ सु०॥ द्यो दरसण गहगाटहो ॥ मां ॥ ५ ॥ तिण अवसर सिंघासणें ॥ सु०॥ पाव धारै नलसंतहो । जल धरज्युं गहरैस्वरै। सु० बावै सुत्र सिधांतहो ॥ मां० ॥ ६ ॥ बहुनवियणं प्रति बूझवै ॥ सु० बयणसुधारस योग हो। नत्तम धरम प्रकाशता ॥ सु०॥ टालै नव इख नोग हो॥ मा० ॥७॥तेज तरुणी जिम दिन मणी ॥ सु०॥ गुण उत्तीस निवा शहो । मोहन मुद्रा तुम तणी ॥ सु०॥ निरख्यांमन नलासहो ॥ मां ॥८॥ थे चिर जीवो गह पति ॥ सु० ॥राज करो इक आंणहो । इम बालै मुनि सुधसदा ॥ सु०॥ वाणी दमा कल्याणहो। मां० ॥९॥॥ ॥ इति वधावो॥ ॥
॥ ॥ .. ॥ पुनः देशना॥॥
जात्रा निनाणू करीये ए चाल ॥ ॥ , ॥ ॥ एहवा सदगुरु वांदीयै। नविकजन (एहवा० ) आपतरै अव रनकुंतारै । शरण तिहारी गहीयै ॥१॥ जवि०॥ जिमसारथ पति साथी