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श्री दादाजी उत्पत्ती स्तोत्र
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साखे । सेवकजननें सुखिया राखै। समस्यां गुरुदरसण दाखे । श्री साधु कीर त पाठक नाखै ॥ विज० ॥ १५ ॥ इति ॥ ॥ * ॥ श्री जिन दत्तसूरिजी उत्पत्ति स्तोत्र जि० ॥
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॥ * ॥ सिरि सुयदेव पसाय करे । गुरु श्री जिन दत्तसूरी | बंदिसु खर तर गवरयण । सूरि जेम गुण पूरि ॥ १ ॥ संवत् इग्यारे वरसै । बत्तीस जसु जम्म । वालिग मंत्रि पिता जणणी । बाहमि देव सुरम्म ॥ २ ॥ इकताजै जिवs गहिय । गुणहत्तरे जसु पाट । वइसाखां वदि बहि दिन । पइ प्रणमें सुरथा ॥ ३ ॥ प्रबं सावय कर लिहिय । सोवन कर अंब | जुगप्रधान जग पयरियाए । सिरि सोह्रै पनि बिंब ॥ ४ ॥ जिए चनसहि जोगिण जणिय । खित्तपाल बावन्न । साइण माइण विज्जुलिय । पुहविह नामनयन्न ॥ ५ ॥ सूरिमंत बलकर सहिय । साहिय जिम धरणिंद | सावइ साविय लक्ख इग पनि बोहिय जिण बिंब ॥ ६ ॥ अरि करि केसरि कुहदल | चनविह देव निकाय । प्रांण नलोपै कोई जुगे । जसु प्रणमें नर राय ॥ ७ ॥ संवत बार इग्यारस में | अजयमेर पुर ठाण । इग्यारस आसा ढ सुदि । सगपत्तन सुह जांण ॥ ८ ॥ श्री जिनवल्लह सूरि पए । श्रीजिन दत्त मुदि । विघ्नहरण मंगल करण । करो पुण्य आणंद ॥ ९ ॥ इति श्री जिनदत्त सूरि ज्यष्टकं ॥ ॥
॥ * ॥ श्रीजिन कुशल सूरजी उत्पत्ति स्तोत्र लि० ॥
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॥ * ॥ रिसह जिणेसर सोजयो । मंगलकेलि निवास । वासव वंदिय पय कमल । जगसहु पूरै आस ॥ १ ॥ ॥ ( चौपाई ) ॥ ॥ चंदकुलं वर पूनम चंद | वंदो श्री जिन कुशल मुणिंद । नाम मंत्र जसु महिम नि वास । जो समरै तसुपूरै आस ॥ २ ॥ मरुमंगल समियाणो गांम | धण कण कंच प्रति अभिराम । जिहां बसे जिल्हागर मंत्रि । जैतसिरी तसु घरणी कलत्र ॥ ३ ॥ जसु तेरेसे तीसै जम्म । सैंतालै सिर संयम रम्म | पाटण सतहत्तरे जसु पाट । निब्यासिये तसु सुरगैवाट ॥ ४ ॥ नूरुल सरगै पा याज । अचिराचिर जुग इस कलिकाल । प्रनु प्रताप नविमांनॆ सोय । मैं नविनय दीठो जोय ॥ ५ ॥ निरधन लहै धन धन्न सृवन्न । पुन्नही पार्मे
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