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लक्ष्मी मोहन स्तवन संग्रह. ७८१ प्यारी०१॥ सरदइंतु जिम वदन मनोहर । आसपूरै नितध्यावनकी॥प्या०२॥ अश्वशेन वामाजीकेनंदन। तीन जुवन जसगावनकी ॥ प्यारी० ३॥ अव जलतारक सहुसुखकारक, नयनसुधावरसावनकी ॥ प्या० ४॥ ज्ञानसुधा रस श्रीवरधारक, मुक्ति मोहन जय पावनकी ॥ प्या० ५॥ ॥ . इतिश्री चिंतामणी पार्श्वजिनस्तवनम् ॥ॐ॥
॥ ॥ ॥ ॥ ताल दादरा, हजूरियांगढी॥ ॥ ... ॥ * ॥ अरज करुं गढो, अरज करुं गढो, मोहेतारो ॥ अर० ॥ टेक ॥ प्रनुजीथांको विरुद चितधारो । जुःखसहुटारो ॥ मोहे० १॥ प्रनुजी तुमे तरण तारणगे । सुक्खकारण गे ॥ मोहे० २॥ प्रनुजी रिखन जिनेसर साचो । मोहन गुण राचो॥ मोहे० ३ ॥ इतिश्री आदिजिनपदम् ॥8॥ .
॥ ॥ पुनः॥ ॥ * ॥ शरणमें आयो शरणमें आयो। बीरतेरे शरणमें आयो । बीर० टेक ॥ प्रनुजी मेंतो कुमति संग रमियो । बहुत जवनमियो ॥ बीर० १॥ प्रजुजी मोकुं सुमति अबदीजै। जगत जश लीजै। बी०२॥ प्रनुजी शिवमुख श्रीबर चाहुं॥ मोहनगुण पानं ॥ बी० ३॥ इति श्रीबीरजिन स्तवनम् ॥४॥ ...॥ ॥राग कल्याण, मानोप्यारा२०॥8॥
॥ ॥ मोहे तारो मोहे तारो कुंथुजिनंद । मो० ॥टेक ॥ कुंथुजिनेसर तुं परमेशर । शांति सूरत सुखकारो ॥ मो० १॥ सूरपिता श्रीदेवी माता । तुम तारक अवतारो॥ मो० २ ॥ अतिशय सोनित अंगानूषण, मोहनीमूरत प्यारो ॥ मो३ ॥ अविनाशी अविकारी तुं प्रनु, शिववाशी जगप्यारो। मो० ४ ॥वीकानेर नगर अतिसुंदर। चैत्यवन्यो हितकारो ॥ मो० ५॥ नग णीसे इकतीस जेष्टसुद । दशमीदिन सुनवारो ॥ मो० ६॥ प्रनुथापनाकार नूतनचैत्यें। श्रीवर संघ हजारोमो खालक्ष्मीप्रधान मोहन नित सेवे । जय शिव पद दातारो॥ मो० ८॥ इति श्रीकुंथुजिन चैत्य प्रतिष्टा स्त० ॥ॐ॥
॥#॥ गजल ॥ * ॥ ॥ ॥ गुणोंकों धारले दिलदार हरदम । गुणोहे सब मुखकार हरदम