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- सहसकूट १०२४ जिन पूजा.
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श्री परमा० श्री सहसकूट जिनेंद्राय सुगंध 11 11
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कारतुं ॥ ज० पू० ॥ ७ ॥ जलं यजामहेः ॥ १३ ॥ # ॥
॥ * ॥ अथ कलश पूजा ॥ * ॥
॥ * ॥ ( ढाल ) ॥ तेजरण मुखराजैहो प्रभू० ॥ (ए चाल ) ॥ तेज अधिक जगगाजैहो । प्रजु थांरो ॥ ते ० ॥ सहसकूट जिनवर सब पूजत । पुन्य अनंत सुकाजै । प्रतिशयवंत महंत जिनेसर । सुरतरु सम प्रनू बाजे हो ॥ ते० ॥ १ ॥ रूप अनूप करी सुर मोहै । देखत दुख सहु जाजै । खरतर गपति चंदसूरीसर । तेज अधिक गुरु बाजैहो ॥ ते० ॥ २ ॥ प्रीतसागर गणी सिष्य सुवाचक । अमृत धरम सुराजै । शीश कमा कल्यांण सुपाठक | अमृत सम गुणराजैहो ॥ ते० ॥ ३ ॥ धरमविशाल मुनि गुरुदीवो तसुनंदन हितकाजै । सुमति कहै जवि नावधरीनें । पूजो श्री जिनराजैहो ते० ॥ ४ ॥ वीकानेर नगर प्रतिसुंदर | संघ सदा गुण राजै । प्रेमधरी पू जन एकरियै । वंबित हितसुख काजैहो ॥ ते० ॥ ५ ॥ नगणी से चालीशै मिगसर । सुद पंचमी शुजराजे। सुगुण निधांन मोहन मुनीगावै । निजगु निरमल काजैहो ॥ ते ॥ ६ ॥ इति सहस कूटजी पूजा संपूर्ण ॥ ॐ ॥ ॥ * ॥ अथ सहसकूट स्तवन ॥ ॥
॥ ॐ ॥ ( ढाल ) ॥ ॥ सहियांहे नेमीसर बननें गिरना० ॥ ॥ * ॥ सहियांहे सहसकूट महाराज वंदो सब जावसुंहे माय ॥ वं दो० ॥ सहि० ॥ तीस चौवीशी पूजीये हे माय ॥ स० ॥ विहरमांन aadia सेवो चित चाह हेमाय ॥ से० ॥ स० ॥ १ ॥ एकसो साठ जिनेसरा हे माय । स० । उत्कृष्टा अवधार निरंजन ध्यावसुं हे माय नि० । सं० ॥ २ ॥ एकसो वीश जिनंदना हे माय ॥ स० ॥ कल्यांणक सब होय । सेवा जवि दावसुं हे माय ॥ से० ॥ स० ॥ ३ ॥ च्यार जिनेसर शाशता हेमा य ॥ स० ॥ जयवंता जगदीश अधिक गुण गावसां हेमाय ॥ प्र० । स० । ॥ ४ ॥ बहुत दिनांरो माहमो हे माय । स० । ते फलियो मुऊ आज जि
द पद सेवतां हे माय ॥ जि० ॥ स० ॥ ५ ॥ नचव अधिक सुहामणा हे मा य। स० । खूबथया रंगरोल अधिक मन रंगसुं हेमाय । ० ॥ ० ॥ ६ ॥