________________
श्रीशांतिपूजा विधि.
॥ ॥ इसीतरै अन्य मंगल प्रतिष्टादिकमें ( जब ) दशदिग्पाल, नवग्रहकी थापना पूजा करणी होय (तो) शांतिपूजाके ठिकाऐं, जो पूजादि न होय । नसीका नाम लेकर पूजन थापन करावे || विशेष विधि जो होय । सो गुरुके मुखसें समऊ के करावे ॥ ( पीछे ) शांतिकारक के गृहसें शुद्ध जलसे सथव स्त्रीके हाथसें किया हुवा पांचुं रंगके धानका वाकुला (तथा) पांचं रंगकी खजजी, गुलगुला, खीर, दहीको करवो, मालपूवा, पांच रंगका लाडू, ( इत्यादि) नत्तम २ खाद्यवस्तु मंगाके । एक परात में सब द्रव्य नेजा करै (और) घृत, खां, अत्तर, गुलाबजल, पांच वर्णा फूल, आदि सुगंधी द्रव्य मिलाके बलवाकुल तैयार करे | ( पीछे ) गुरु, वासक्षेपकी मुट्ठी तीन चेर मंत्रसें मंत्रके, तीनवेर बलवाकुल ऊपर वाशद्देप करे ॥ * ॥ ॥ * ॥ वासक्षेप मंत्र ॥ ॥
॥*॥
७०७
॥ ॐ ॥ झा की सर्वोपद्रव बिंबस्य र २ स्वाहा ॥ णमो अरिहं ताणं । णमो सिद्धाणं । णमो आयरियाणं । न णमो नवझायाणं । ॐ णमो लोए सबसाहूणं । णमो आगास गामीणं । णमो चारण लहीणं । जे इमे किन्नर । किंपुरस । महोरग । गरुम । गंधर्व । जक्ख । रक्खस । पिशाच । नू । माइण प्पनइन । जिणघर निवासिणो । सन्निहि याय । तेसवे विजेवण धूव पुप्फ फल वइवसपाहिं । बलिपविता । तुठिकरा जवंतु। पुहिकरा संतिकराजवंतु । सवं जणं कुर्वंतु । सवजिणाणं संहाणप्रजा वन । पसन्नभावतणे । सवत्थ ररकंतु कुर्वंतु । सब दुरियाणी नासंतु । सबा सिव मुवसमंतु । संति तुहि पुद्धि सिव सत्ययण कारिणो भवंतुस्वाहा || इस मंत्र तीनवेर वासक्षेप करके बलवाकुल को शुद्ध करे। (पीछे) प्राधा वलवा कुल, दूसरी परात में विसर्जन के निमत्त पट्टेपर वस्त्रसें ढांकके रख देवे । आ धावलवाकुल लेके घरके ( तथा ) चैत्यकेऊपर १९ स्त्रात्रिया शुद्ध होके जावे । ( जिसमें ) प्रथम विनयवंत श्रावक चोटीका केश खुला करके बल चाकुल दोनुं हाथ में लेके, पूर्व दिशकी तरफ खमा रहे ॥ १ ॥ दूशरो केशरकी कटोरी २ । तीशरो फूलकी चंगेरी ३ । चोथो रीसो ४ | पांचमो धूपदानो ५ । बो दीपक ६ । सातमोचामर ७ । आठमो घंटा ८ । नवमो जलको कल