________________
६६९
श्रीसमेत शिखरगिरी पूजा. मनधर अधिक हावरे ॥ जे० ॥ बालचंद प्रनुपतित नधारन । मिलगए पुन्य पसावरे ॥ जे० ॥ ३ ॥ इति ी श्री परमात्मने श्री सुविध जिनें द्वाय टद्रव्यं यजामहे स्वाहाः ॥ इति अष्टमी पूजा ॥ ९॥ ॥ ॥ * ॥ अथ नवमी पूजा ॥ ॥
॥ * ॥ दूहा ॥ ॥ श्रीशीतल मुनिइंद्रकी । महिमा अजब अपार । ज्ञानानलथी जिणदीया । कर्मप्रष्टधनजार ॥ १ ॥ ढाल || सिद्धाचलगिरि व्यारे धनभाग्य हमारा ॥ एहनी ॥ श्री शीतलजिनवंदो रे जविजन सुखकारा श्री० पतित नधारन दुरगति वारक । दायक शिवसुख सारारे ॥ ज० ॥ १ ॥ नक्तनविक जव जय अपहारी । ए प्रभु परम सुप्यारारे । ज० मिथ्या ग्रीषम ताप निवारन । प्रजुचंदन अनुकारारे ॥ ज० २ ॥ परनपगारी परम महागुरु परमातम अविकारारे ॥ ज० ॥ वालक प्रजुको नवनव i चरणसरणमनवारारे ॥ ० ३ ॥ ी श्री परमात्मने० श्री शीतलजिनं द्राय प्रष्टद्रव्ययजामहेस्वाहाः ॥ ९ ॥
॥
॥ ॥
11 #11
॥ * ॥ अथ दशमीपूजा ॥
॥
( दूहा ) श्री श्रेयांस जिणंदनी । चरन सरन सुखकार ।। पुन्यप्रशाद मिल्यों मुजे । जव २ सुखदातार ॥ १ ॥ ढाल ॥ दादाचिरंजयो सेवकजन सुखदाई दरसण सदादियो । एचाल ॥ जवि नावधरी श्री श्रेयांसजिनेसर जो मन रखी ॥ ज० एप्रनुसम अवरन कोदेवा । जाकी चौसठ इंद्र करे सेवा ॥ तेज है सुरसुख सिवसुख मेवा ॥ प्र० १ ॥ प्रभु परतिख सुरतरु सम स्वामी । जाकी पुन्यप्रसाद सेवा पामी । प्रभु जगजीवन अंतर जामी ॥ ०२ ॥ प्रनु दीनदयाल परमदाता । जगवत्सल जगबंधव त्राता । कहै बाल सकलदायक साता ॥ ज० ३ ॥ इति । श्री श्रीपरमात्मने श्री श्रेयांसजिनेंद्राष्ट व्यं यजामहेस्वाहाः ॥ १० ॥ ॐ ॥ 11*11.
1111
॥ * ॥ अथ इग्यारमीपूजा ॥
॥
(हा ) परमातम परमेसरू । श्री तेरमजिनराज । ध्यावो सेवोन विकजन | ज्युं पावो सुखसाज ॥ १ ॥ रागकनको । मेरी लागीलगन जिनचरण ॥ मेरी० चाल ॥ मनमोह्योरी मेरो जिन चरणे म०॥ दुःख दोहग सबहरणै । मन० ॥