________________
नवपद (तथा) रुषिमंगल आरती पूजन विधि.
६१५
पंचाचार दीपे प्राचारिज । जुगवर गुणधारी । धारक वाचक सूत्र अर्थना पाठक जवतारी ( जय ० ) ॥ ३ ॥ सम दम रूप सकलगुण ज्ञायक । मो टा मुनिराया । दशण नाण सदा जय कारक । संजम तपनाया ( जय० ) ॥ ४ ॥ नव पदसार परम गुरु जाषै । सिद्धचक्र सुखकारी । ए जव परन वरिष सिद्ध दायक । जव सायर वारी ( जय० ) ॥ ५ ॥ करजोमी सेवक गुण गावै । मनवंबित पावै । श्रीजिनचंद अखयपद पूजत । शिव कमला पावे ( जय० ) ॥ ६ ॥ इति श्रीनवपद आरती ॥ ॥
1111
॥ * ॥ अथ रुषिमंगल आरती लि० ॥ * ॥
॥ ॐ ॥
॥ ॐ ॥ जय जय जिनराजा । ( बारी ज ० ) प्रारती करूँ शिवकाजा । जब जयं दुख जाजा ( जय० ) ॥ १ ॥ रुषभ अजित संभव जिन राया । अभिनंदन सुमति । पद्म सुपारस चंद्राप्रनुते । दूर हुवै कुमति | ( जय० ॥२॥ सुविध शीतल श्रेयांस सवाई | करि बारम जिनकी । बिमल अनंत धर्म प्रभु शांति । हर प्रारति तनकी । ( जय० ) ॥ ३ ॥ कुंथुनाथ प्ररमति मुनिसुव्रत । नमि नेमि श्रीकारा । पार्श्वजिनेश्वर वीर जिनंदा । प्रातमहि तकारा । ( जय० ) ॥ ४ ॥ इण विधि आरति जे नवि करसी । जवसायर तरसी । श्रीजिनचंद खयपद फरसी । शिव कमला वरसी | ( जय ० ) ॥ ५ ॥ इति श्रीशषिमंगल आरती ॥ * ॥ ॥ * ॥ अथ रुषिमंगल सुननेंकी (वा) पूजने की विधि ॥ ॥ ॥ * ॥ ( प्रथम ) ॥ ॥ आद्यन्तार संला । यह । रुषमंगलस्तोत्र । धूप, दीपादि, बिधि संयुक्त, आठ महिनेतक प्रभात समय सुणें । रुषिमंगल में (जो ) मूलमंत्र है (सो) शुभदिन शुनवमी । हाथमें फल फूल जेट शक्ति माफक लेई । गुरूकै पास जावे । नेट धरके । विनयसंयुक्त मूलमंत्र ग्रहण करे । (नसका ) ८००० जाप, आठ महिनामे करे | किरणेंकी शक्ति होय (तो) सदा करे । नहिं तो । आठम । चवदस । दो बि ल जरूर करे । आठ महिनां हुयां बाद कजमणो करे । जमके दिन १०८ वेरसुणें । पीछे शक्ति होय ( तो ) विधिसंयुक्त । रुषिमंगल स्थापन करायके पूजा करे । विशेष शक्ति होय तो ( २४) प्रकारी पूजा करावे ।
1