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कृषीमंमल २४ प्रकारी पूजा ६१३ अमृत वरसतारे (वाला) (देस.)। वरसता हारे वाला वरसता । नविक मोर सुणि जलसतारे ॥२॥ समवसरण गिरि परि रह्यारे (वाला)। जामंगल चपला वह्यारे (वाला)। चपला वह्या । ( हारे) चपला वह्या . सुर नर चातक ऊमया ॥ ३ ॥ बोध बीज नपजावीयोरे (वाला)। भवि नर क्षेत्र बधावीयो हारे (वाला धा०)। जविक मुगति फल पावीयो॥४॥ (काव्यं ) सलिल०॥ नक्षी श्रीमन्नेमि जिनें॥॥ इति नेमि जिन पूजा (२२)॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥ अथ (२३)श्रीमत्पावजिन पूजा लि० ॥ ॥
॥ (दोधक)॥ अश्वसेन नंदन सदा । वामोदर खनि हीर । लोक सिखर सोनै प्रनु । विजित करम वमवीर ॥१॥ वाजे तेरा बिबुआ (इस कैरवाकी चालमै)॥ * ॥ पास जिणंदा प्रनु मेरै मन वसीया। पास जिणिंदा । मेरै मन वसीयारे। मेरै दिल वसीया (पास जि०) । शिव कमलानन कमल विमल कल । तर मकरंद पान अतिरसीया (पास जि.) ॥१॥बामा नंदन मोहनि मूरत । सकल लोक जन मन किय वसीया (पास जि०)। परमज्योति मुख चंद विलोकित । सुर नर निकर चकोर ह रसीया ( चकोर ह° ) (पास जि० )॥२॥अंजन गिरि तनु इति जिन जलधर । देशना अमृत धार वरसीया (धारवर०) (पास जि०)। पीय करि नवि चिरकाल तिरसीया। मुगति युवति तनु तुरत फरसीया (पास जि०) कुमुद सुपद शिवचंद्र जिणेदनी। वारीजा मन मेरो अतिह नल सीया (पास जि०)॥४॥ (काव्यं (सलिल । नक्षी। त्रयो विंशत्तम श्रीमत्पार्थ जिने ॥ इति श्रीपार्थजिन पूजा ॥२३॥
॥ ॥अथ (२४)श्रीमहीरजिन पूजा लि० ॥॥
॥ ॥ (दोधक)॥ ॥ वर इक्खाकुकुल केतु सम । त्रिशलोदर अवतार । ए प्रनुनी नित कीजीये। विविध नक्ति सुखकार ॥ १ ॥ (राग तेजतरणि मुखराज)। (हारे मुखराज) (प्रजु जीको ते०)(एचाल) 'चरम बीर जिन राया (हारे) जिनराया। मेरे प्रनु चरम बीर जिनराया (०)। सिधारथकुल मंदिर धजसम । त्रिशला जननी जाया। निरु