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'नवपद बी पूजा (तथा) सामग्री, विधि. ५९९ खातर सपेद वस्त्र । पहरावणी खातर नत्तम रेसमी प्रमुख वस्त्र । बासोप । गुलाबजल । अत्तर । इत्यादिक । और ( नव ) नालीके कलस (९) रकेबी। परात । तसला आरती । मंगलदीप । नगवानकै अंगी। समो सरण । इत्यादिक सब चीज पहली ठीक करके रक्खे। इससें । पूजामें। विघ्न न। होय । (इहां) संकेपविधि कही। विसेषविधि गुरूके मुखसें जाण लेणा॥ ॥ ॥ अथ सबकै जाणनेको। नवपदजीके पूजा करणेकी
कलस ढालणकी विधि कहते है ॥ * ॥ ॥* चैत्र सुदि १५ ( तथा ) आसोज सुदि १५ के दिन । नात्रिया नव करै । पंचामृत मोटै घमै प्रमुखमें करे । थापना में श्रीफल रोक नाणो धरै । पीछे गुरुके पास मंत्रायकै । केसरसें तिलक करै । कांकणमोरा हाथमें बांधै । दहणे हाथमें साथियो करिके । बिधि संयुक्त स्नात्र पढावे । पीछे श्री अरिहंत पदमें चावल (तथा) चंदन । पुष्प । धूप । दीप । नैवेद्य(प्रमुख) अष्टद्रव्य । वासदेप । नागरवेल पांन । रकेबीमें धरके । हाथमे रक्खे । नव कलशके मोली बांधै । कुंकुमका साथिया करै। पंचामृतसें नरिके कलश हाथ में लेके पूजा पटै । संपूर्ण होणें से कलश ढाले । बमी परातमें प्रतिमा जी पधरावै । नक्षी णमो अरिहंताणं । इस माफक कहतो थको । अरिहंत पदकी पूजा करै । अष्ट द्रव्य अनुक्रमें चढावै ॥ इति प्रथम पूजा ॥ * ॥ ॥ १ ॥ (दूसरे) सिधपद रक्तवर्ण । गहूं रकेबीमें धरै । श्रीफल (तथा) अष्टद्रव्य लेकर । ( ९ कलश ) पंचामृतसें चरिके पूजा पढे । ( पूर्ण होणे से) झी णमो सिधाणं कही । ( कलश ढालै )। अष्ट द्रव्य चढावै ॥ इति द्वितीय पूजा विधि २॥ * ॥ (तीसरै) श्री आचार्यपद । पीलेवर्ण । चिणाकी दालि । अष्टद्रव्य । श्रीफल प्रमुख लेके । कलश (९) पंचामृत सें नरिके पूजा पढे । पूर्ण होणेसें । नक्षी णमो आयरियाणं ( कही )। कलश ढाले । द्रब्य चढावै ॥ ॥ इति तृतीय पूजा ॥३॥ॐ ॥ (चौथे श्री नपाध्याय पद । नीले वर्ण । मूंग प्रमुख अष्ट द्रव्य लेके पूर्वोक्त विधि से पूजा करै । संपूर्ण होणेसें ॥ न जी णमो नवझायाणं ( कही ) कलश ढाले । अष्ट द्रव्य चढावै ॥ इति चोथी पूजा विधि ॥ ४॥॥ (पांचमें)