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रत्नसागर, श्रीजिनपूजा संग्रह. ॥ ॥ अथ विधिः॥ (राग मालवी गोमी)॥8॥ ॥ ॥ सब अरति मथन मुदार धूपं । करति गंध रसालरे । ( देवा क०) धाम धूमा वलिय धूसर । कलुष पातिक गालरे (देवा )॥ १॥न बंगति सूचंति नविकुं। मघमधै कर नालरे (देवा) चवदमी वामांग पूजा। दीयै रयण विशालरे। आरती मंगल मालरे । मालवी गौमी तालरे ( देवा स० )॥ इति चौदमी धूप पूजा ॥१४॥ एकही धूप धाणो प्रजूकै बायें अंग धरी खेईजै॥ ॥
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॥ ...॥॥अथ १५ गीत गान पूजा
॥ ॥ (प्रनुजीके मुख आगै मधुर स्वरे गुण ग्राम गावै ) ॥ ॥ (दूहा ) कंठ नलै आलाप कर । गावो जिन गुण गीत। जावो अधिकी भावना। पनरमी पूजा प्रीत ॥ १॥ (श्रीरागै आर्या) यदनंत केवल म नंत फलमस्ति जैन गुण गानं । गुण वर्णतान वाद्यै । मात्रा भाषा लय युक्तं ॥१॥ सप्तस्वर संगीतैः । स्थानर्जयतादि ताल करणैश्च । चंचुर चा री चारी । गीतं गानं सुपीयूषं ॥२॥8॥
॥ ॥अथ विधिः ॥ (श्रीराग)॥ ॥
॥ जिन गुणगानं श्रुत अमृतं। तारमंद्रादि अनाहत तानं । केव ल जिम तिम फल अमृतं (जि.)॥ १ ॥ बिवुध कुमार कुमरि आलाप मुरज नपांग नाद जनितं (जि०)। पाठ प्रवंध धूयो प्रतिमानं । प्रायति बंद सुरति सुमतं (जि०) ॥२॥ सबद समान रुच्यो त्रिनुवनकुं । सुरनर गावै जिन चरितं । सप्तस्वर मान शिव श्रीगीतं । पनरमी पूज हरै उरितरे। (जि०)॥३॥ ॥ इति पनरमी गीत पूजा ॥१५॥ ॥
॥ ॥ अथ सोलमी नाटिक पूजा॥ ॥ ॥ ॥ समान अवस्थावाली सधव स्त्रीयां (वा) कुमरयां नेली होके अनूके सन्मुख संका कंखा रहत नाटक करै। स्त्रीयोंका जोग नबणे (तो) समान अवस्थावाला पुरष नाटक करै । (वा) कुमर कुमरयां मिलकै नाटक करें नाटक करणेसें केई जीव तीर्थकर गोत्रबांधाहै । नाटक करतां मुखे इम पढे ।
॥ (दूहा) ॥ कर जोमी नाटक करै । लकि सुंदर सिणगार ।