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सतर नेदीपूजा.
.९७९ ॥॥अथ तृतीय वस्त्र युगल पूजा॥ॐ॥
॥ अत्यन्त कोमल सुगंध अमोलक वस्त्र युगल पर । केसरनो सा थियो करी । प्रजुजी आगै खमा रहै मुखें इम पढे॥8॥
॥ ॥ (दूहा)॥वसन युगल नान बिमल । आरोपैं जिन अंग। लान ज्ञान दर्शन लहै । पूजा तृतीय प्रसंग ॥१॥ (राग गौडी)॥ कमल कोमल धन चन्दन चरचित । सुगंध गंधै अधिवासिया ए॥ ( हारे) अइ यो० ॥ कनक मंमित हिय लालपक्षव शुचि । वसन जुग कति अधिवा सिया ए॥ (हारे) अ०॥ जिनप नत्तम अंगै सुविधि शको यथा । करिय पहिरवाणी ढोइयै ए॥ (हारे) अ० ॥ पापलूहण अंग लूहणो देवनें। वस्त्रयुग पुंज मल धोश्यै ए॥ (हारे ) अ० २ ॥ॐ ॥ इति ॥ ॥
॥ ॥ अथ विधिः (राग बैरामी)॥ ॥ ॥ॐ ॥ देव दुष्य युग पूजा वन्योहै जगतगुरु । ( हे हाए ) आगे व न्योहै जगतगुरु । देव पुख्खहर अब इतनो मांगुं । तुंहीहै सबहि हितु तुं हीहै मुगतिदाता । तिण नमि २ प्रनु जीकै चरणे लागूं ॥ दे० १॥ कहै साधु तीजी पूजा केवल देसण नाण । देव पुष्य मिसदेहु नत्तम वागूं। श्रव ण अंजलि पुट सुगुण अमृतपीतां। सबरामी उख संशय घुरम नागू ॥ दे ॥२॥ इति तृतीय वस्त्रयुगल पूजा ॥ एकही वस्त्र युगल चढावै॥ ॥
॥ ॥ अथ चतुर्थी सुगंधचूर्ण पूजा॥ ॥ . ॥ ॥ अगर, चन्दन, कपूर, कुंकुम, कस्तूरीका, चूर्ण करी । कचोली जरी। आगै ऊना रहै। मुखें इम पढे। (गोमी रागमें । दूहा) ॥ पूज चतुर्थी इण परे । सुमति वधारै वास । कुमति कुगति दूरै हरै। दहे मोह द लपास ॥१॥ राग सारंग ॥ * ॥ ( हां होरे देवा) बावना चंदन घस कुमकु मा। चूरण विधि विरचै वासुए । ( हां होरे देवा ) कुसुम चूरण चंदन मृगमदा । कंकोल तणो अधि वासुए॥ (हां०) २॥ वास दशोदिश वा सतें । पूजै जिनअंग वंगूए ॥ (हां०)॥लागि नवन अधिवासीयो। अनुगामिक सरम अनंगए ॥३॥ इति ॥ * ॥