________________
देवचंदजीकृत स्नात्रपूजा
५६७
टीकी दीजै । नमो सिधा कही । चमर हाथमें लेवे ॥ * ॥ ( वस्तु ) सयल जिनवर २ । नमिश्र मनरङ्ग ॥ कखाण कविह संठविप्र । करि सुधम्म सुपवित्त सुन्दर । सयइक सत्तरि तित्थंकर । इक्कसमय विहर न्ति महियल । चवण समय इगवीस जिए || जन्म समय इगवीस । जत्ति ह जावें पूजीया । करोसंघ सुजगीस ॥ ६ ॥ ॥ ॥ ॐ ॥
॥ * ॥ एकदिन प्रचिरा हुजरावती । ए चाल ॥ ॥ जव तीजय समकित गुण रम्या । जिन क्ति प्रमुख गुण परिणम्या ॥ तजि इन्द्रियसुख प्रसंसना । करी थानक वीरानी सेवना ॥ १ ॥ प्रतिराग प्रशस्त प्रभावता । मनजाव ना हवी जावता ॥ सबजीव करूं शासन रसी । ऐसी जावदया मन नल सी ॥ २ ॥ नही परिणाम एहवूं नलूं । निपजावी जिनपद निरमलं ॥ आ नबंधै विच एकनव करी । श्रद्धा संवेगते थिरधरी ॥ ३ ॥ तिहां चवीम ल हे नरजव नदार । जरते तिम ऐवत तेजसार || महाविदेह बिजयपरधान । मझखं वतरे जिन निधान ॥ ४ ॥ ( ढाल ) पुन्यें सुपना देखे । मनमां हरष विसेषै ॥ गजवर नऊल सुन्दर । निरमल वृषन मनोहर || १|| निरजय केसरी सह । लखमी प्रतिहि अबीह ॥ अनुपम फूलनी माला । निरम ल शशि सुकमाला || २ || तेज तरणि प्रति दीपै । इन्द्रधजा जगजीपै ॥ पूरण कलस पंसूर । पद्मसरोवर पूर ॥ ६ ॥ इग्यारमें रयणायर | देखें मा ताजी गुणसार ॥ बारमें जुवन बिमान । तेरमें रतन निधान ॥ ४ ॥ ग नि शिखा निरधूम | देखे माताजी अनोपम || हरखी रायनें जासे । राजा अथ प्रकासे ॥ ५ ॥ जगपति जिनवर सुखकर । होस्यै पुत्र मनोहर ॥ इं द्रादिक जसु नमसे । सकल मनोरथ फलसै ॥ ६ ॥ ॥ ( वस्तु ) ॥ ॐ ॥ पुन्य नदय २ || ऊपना जिननाह । माता तब रयणी समें । देखि सुपन हरखंत जागी । सुपन कही निज कंतने । सुपन अरथ सांजलै सोभागीय । त्रिभुवन तिलक महागुणी । होस्यै पुत्र नि धान | इंद्रादिक जसु पायनमी || करमै सिधि विधान ॥ ॥ १ ॥ ( ढाल ) ॥ चंद्रा नल्लालानी ॥ ॥ सोहमपति आसन कंपीयो । देई दीयो ॥ मुऊ आतम निरमल करण काज | नवजल ता
मन