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रत्नसागर.
कर्म. ६३ मृदुस्पर्श० ६४ गुरुस्पर्श नामकर्म. ६५ लघुस्पर्श नामकर्म ६६ शीतस्पर्श नामकर्म. ६७ नृष्णस्पर्श नामकर्म ६८ स्निग्धस्पर्श नाम कर्म . ६९ रूक्षस्पर्श नाम कर्म ७० नरकानुपूर्वी ७१ तिर्यगानुपूर्वी ७२ मनुष्यानुपूर्वी. ७३ देवानुपूर्वी. ७४ शुभ विहायोगति. ७५ शुभ विहायोगति. ७६ परावा त नामकर्म. ७७ नास नामकर्म. ७८ आतप नामकर्म. ७९ उद्योत नामक म. ८० अगुरुलघु नाम कर्म. ८१ तीर्थकर नाम कर्म. ८२ निर्माण नामकर्म. ८३ नपघात नामकर्म. ८४ त्रसनाम कर्म. ८५ बादर नाम कर्म. ८६ पर्याप्त नाम कर्म. ८७ प्रत्येक नाम कर्म. ८८ स्थिर नामकर्म. ८९ शुभ नाम कर्म. ९० सौभाग्य नाम कर्म - ९१ सुस्वर नाम कर्म. ९२ आदेयनाम कर्म. ९३ य शः कीर्त्ति नाम कर्म. ९४ स्थावर नाम कर्म . ९५ सूक्ष्म नाम कर्म. ९६ अप र्याप्त नाम कर्म. ९७ साधारण नाम कर्म. ९० अस्थिर नाम कर्म. ९९ अशुभ नाम कर्म. १०० दुर्भाग्य नाम कर्म. १०१ दुःस्वर नाम कर्म. १०२ अनादेय नाम कर्म. १०३ यशोऽकीर्त्ति नाम कर्म.
॥ ॥ सातमा गोत्रकर्मकी उत्तर प्रकृति दो ॥ ॥ १ उच्चैर्गोत्र. २ नीचैर्गोत्र. ॥ श्राध्मा अंतराय कर्मकी उत्तर प्रकृति पांच ॥ १ दानांतराय २ लानांतराय. ३ नोगांतराय, ४ नपनोगांतराय. ५ वी यतिराय. ( इसप्रमाणे आठ कर्मकी एकशो महावन उत्तर प्रकृति जानी. ) ॥ * ॥ अथ नव तत्व नामः ॥ ॥
जीवतत्व, २ जीवतत्व, ३ पुन्यतत्व, ४ पापतत्व, ५ तत्व, ७ निर्झरातत्व, ८ वंधतत्व, ९ मोक्तत्व ॥ ॥
॥ इति ॥
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श्रवतत्व ६ संच In