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श्रीनेमि नवरसो, दाशशील चौढा.
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करो मन कदास ॥ जिन० ॥ ४ ॥ नेम गयो तो ननुं थयुं ॥ सा० ॥ आप णे करशुं भोग विलास || जिं० ॥ उत्तम कुलनो कपनो ॥ सा० ॥ तुं बोल वि चारी बोल || जि० ॥ ५ ॥ संयम रत्नने हारीया ॥ सा० ॥ वली कधी बनी घात ॥ जिन० ॥ रहनेमी तव वोलीयो ॥ सा० ॥ माता रा जीमती नगार ॥ जि० ॥ ६ ॥ नेमीसर करें मोकल्या ॥ सा० ॥ फरी ली धो संयम जार ॥ जि० ॥ नेम राजुल केवल लई ॥ सा० ॥ पोहोता मु क्ति मकार ॥ जिन० ॥ ७ ॥ पीयु पहेली मुगतें गयी ॥ सा० ॥ राजीम तीते िवार ॥ जि० ॥ रूपचंद रंगें मख्या ॥ सा० ॥ प्रनु नतारो नवपार ॥ जिन ॥ ८ ॥ * ॥ इति नवरसो सं० ॥ ॥ 11 11
॥ * ॥ अथ दान शील तप नाव चौ ढालियो ॥ ॥
॥ * ॥ प्रथम जिणेसर पाय नमी । पामी सुगुरुप्रसाद ॥ दान शीय ल तप भावना । बोलिश बहु संवाद ॥ १ ॥ वीर जिणंद समोसरया । रा जगृही उद्यान । समवसरण देवें रच्युं । बेग श्रीवर्धमान ॥ २ ॥ बेटीबारे परखदा । सुणवा जिनवर वाण ॥ दान कहे प्रजु हूं वो । मुऊने प्रथम वखाण ॥ ३ ॥ सांगलजो सहुको तुमे । कुंण बै मुझ समान अरिहंत दीक्षा अवसरें । आपे पहिलं दान ॥ ४ ॥ प्रथम पहोर दातारनुं ।
ये सह कोई नाम । दीधांरी देऊल चढे । सीजे वंबित काम ॥ ५ ॥ ती करने पारणें । कुण करशे मुऊ होड || वृष्टि करूं सोवन तणी । साढी बाहर को ॥ ६ ॥ हुं जग सगळं वश करूँ । मुऊ मोहोटी बे वात ॥ कु एकुण दान की तरया । ते सुणजो अवदात ॥ ७ ॥ *॥
॥ * ॥ ढाल पहेली, ललना कीदेशी ॥ # ॥
॥ * ॥ धन सारथवाह साधुने । दीधुं घृतनुं दान । ललना । तीर्थकर पद में दीयुं । तिणे मुम्ने अभिमान । ललना ॥ १ ॥ दान कहे जग हुँ वो । मुसरिखुं नहिं कोय ॥ ललना ॥ रुद्धि समृद्धि सुख संपदा । दानें दोलत होय ॥ जलना ॥ दा० ॥ २ ॥ सुमुख नामें गाथापति । पमिजा भ्यो णगार ॥ जलना ॥ कुमर सुबाहु सुख लहां । तेतो मुऊ नृपगार ॥ ललना ॥ दा० ॥ ३ ॥ पांचशें मुनिने पारणं । देतो वोहोरी आण | ल