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मुक्ती जाणेंकी अनुनवपद मिगरी. . ४८९ री जी (जि०)॥५॥पांचे सुमती तीन गुप्तीए। आ गवा बुलावो । शील असेसर वमा चौधरी । नसकुं पूल मंगावोजी (जि०)॥६॥अरजी गुजरी चेतन तेरी । हुवा सफीना जारी । हाजर आवो जुबाब लिखा वो। लावो साबूती सारीजी (जि०) ॥७॥ आढुं मुदाले हाजर आए। मोह मुगत्यार बुलाये । च्यार कषायरु आठे मदकुं । साथ गवाई में लाए जी (जि०)॥८॥ (टेर मुदालेकी)॥ जिनसासन नायक । झूठा दा वा है चेतनजीवका । (जि०) हमनें नहीं जखाया इसकूँ । ए हमरै घर आया। करजा लेकर हमसें खाया। ऐसा फरेब मचायाजी (जि०)॥९॥ बिषयनोग में रमिया चेतन । वाटा नफा न जाना। करजदार जब लारै लागा। तव लागा पिस्तानाजी (जि० झू०.)॥ १०॥ हाजर खमे गवाह हमारै । पूठियै हालजु सारा । बिना लियां करजा चेतनसें । कैसे करें किनाराजी (जि० झू०)॥११॥ (टेर ) ॥ चेतन कहै सताबी मांही । सुन शाशन सिरदार। इमानदार है गवा हमारै। जांणें सब संसार जी। (जि० मे०)॥१२॥ में चेतन अनाथ प्रनूजी। करम फरेबी नारी । जीव अनंते राह चलतकुं। लूंट चौरासीमें मारा जी (जि०)॥ १३ ॥ बमे २ पंमित इणलुटे। ऐसा दम बतलाया । धरम कहा नर पाप कराया। ऐसा करज चढायाजी (जि० मे०) हिंसा मांहीं धरम वताया । तपस्या सेती मिगाया। इंद्रिय सुखमें मगन करीनें। झूठा जाल फैलाया जी (जि. मे०)॥१५॥ ऐसा करो इनसाफ प्रचूजी। अपील होन न पावे । हक्क रसी चेतनकी होवै। जनम मरण मिट जावैजी (जि०)। ग्यांन दर्शन करी मुनसफी । दोनुकुं समझाया। चेतनकी मिगरी करदीनी । करमुंका करज वताया जी (जि०)॥ १७ ॥ असल करज जोथा कर्मोंका । चेत नसेती दिलाया। सुध संजम जद करी जमानत । आगैका सूध मिटाया जी (जि.)॥१८॥आश्रव गेम संबरकों धारो । तपस्यासें चितलावो। जलदी करज अदाकर चेतन । सीधा मुगतिकों जावो जी (जि० मे० ) ॥ १९॥ सुध संजम जदकरी जमानत । चेतन डिगरी पाई । फागुणमुद दशमी दिन मंगल । सन् नगणीस अगई जी (जि० मे०)॥२०॥ इति॥