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राग रागयां स्तवन.
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री किर० ॥ २ ॥ बांहे बाजुबंध बहेरखा बिराजे । कुंमलकी बबि हे न्यारी ॥ ० ॥ ३ ॥ ढूंढत ढूंढत में प्रनु पायो । पूरण पदवी अब पाई ॥ किर० ॥ ४ ॥ नाथ निरंजन नाम तुमारो । रूपचंद पदवी पाई || किर० ॥५॥ 11 ❀ 11 TF: || ❀ ||
॥ * ॥ मुजरा साहेब मुजरा साहेब । साहेब मुजरा मेरारे ॥ ॥ टेक ॥ 'साहेब सुविधि जिनेसर स्वामी । चरण पखालुं तेरारे ॥ मुजरा० ॥ १ ॥ केशर चंदन चरचूं अंगें। फूल चढावुं सेरारे । घंट बजावुं अगर नखें । करूं प्रदक्षिणा फेरारे ॥ मुजरा० ॥ २ ॥ पंच शब्द वाजित्र बजावुं । नृत्य करूँ अधिकेरारे ॥ रूपचंद गुण गावत हरखत । दास निरंजन तेरारे । मुजरा ॥ ३ ॥ ॥ इति० ॥ ॥
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॥ * ॥ पुनः ॥ ॥
॥ * ॥ घंट बाजे घननननन । इंद्रलोक हरख जयो । जनमे वर्ध मान कुँवर । वीतराग तननननन || घंट० ॥ १ ॥ मृदंग ताल गुण बिशाल । ऊल्लरी नाद ऊननननन | घंट० ॥ २ ॥ रूपचंद रागरंग । होत ध्यान मगनननन ॥ ६० ॥ ३ ॥ ॥ ॐ ॥ पुनः ॥ * ॥
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॥ ॐ ॥ निरंजन सांइयांरे । सांइ मेरा टुकसा मुजरालेत ॥ टेक ॥ तुम हो तीरथका देवतारे । हम गिरिवरका मोर ॥ रुम कुम रुम कुम मे हुला बरसे। कांइ उम उम नाचे मोर || निरंजन० ॥ १ ॥ हम गुण का ली कोयलीरे । प्रभु गुण आंबा मोहोर । मांजरके परसादसें कां । करने लागी सोर || निरंजन ० ॥ २ ॥ तुमहो अमर देवतारे । हम केशरका बोम ॥ कनक कचोली हाथमां । कांइ पूजा करूं रंगरोल | निरंजन ० ॥ ॥ ३ ॥ तुमहो मोतिनकी जरीरे । हमगुण ठंडा जोर । रूपचंदकी येही अरज हे । दिलजर दरिशनदोर ॥ नि० ॥ ४ ॥ इति
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॥ * ॥ राग कल्याण ॥ * ॥ ॥ ॐ ॥ ऐसे सहेर बिच कौनसा दीवान है ॥ टेक पवनके कांगरे । दश दरवाजे मंमान हे ॥ ऐसे० ॥
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१ ॥
पानी के कोट पांच इंद्रीके