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सर्व तपपारण, (तथा ) जन्म मरणसूतक विचार. ४३७ उलिझामि। सन्निवाएणं ननविजामि। जाव अहोणवा । केणइ रोगायंकादि प रिणामवसेण । एसो मे परिणामोनपरिवाइ। तावमे एसतवो।(अन्नत्थ) राया नियोगेणं गणानियो गेणं । वलानियोगेणं देवानियोगेणं । गुरुनिग्गहेणं । वि त्तीकंतारेणं। अन्नत्थणा नोगेणं । सहस्सागारेणं । महत्तरागारेणं । सबसमाहि वत्तियागारेणं बोसरामि ॥ जोतप ग्रहण करै नसी तपका नाम लेके । गुरुके 'पास ३ वेर यह पाठ सुणे ॥ गुरु न हो (तो) थापनाचार्यजी समदै । तीन
वेर यह पाठ पढे॥ (पाने गुरू कहै ) हत्थेणं । सूत्तेणं । अत्थेणं । तमुन्न एणं । सम्मं धारिणीयं । गुरुगुणेहिं बुढाहि नित्थारगपारगाहोहि । (ऐसोगु रू कहै ) पीछे खमासमण देके (गुरू मुखै) पच्चख्खाण करै । (अथवा) गुरू न हो (तो) आपमुखै करै । इति सर्व तपस्या ग्रहणविधिः संपूर्णम् ॥
॥॥अथ सर्व तप पारण बिधि लि०॥ * ॥ .. ॥॥ प्रथम ग्यान पूजा करके । इरियावही पमिकमें। (अमुक तप पारिवा०) मुहपत्ती पमिले हैं । २ वांदणा देवै । इलाकारेण संदिसह जगवन् तुनेअगं अमुक तप पारावेह ( गुरु कहै पारावेमो ) इछामि खमासमणो° । इलाकारेण संदिसह नगवन् । अमुक तप निख्खवणत्थं कानसग्गं करावेह । (गुरुकहै करावेमो) पीने देववंदन करके । अमुकतप पारणार्थ करोमि कानसग्गं । अन्नत्थू कहकै । १ नवकारको कावसग्ग करै। स्तुति गाथा कहै । पीछे णमोत्थुणं कहै । (वैठकै) भगवन् अमुक तप करतां । प्रविधि प्रासातनायें करी । जो दूषण लागो होय । सोमन बचन कायाये करी मिहामि उक्कम । (और) ग्यान । जक्ति, द्रब्यसेंनावसें, किया होय (सो) प्रमाण फलदायक होजो । (गुरू कहै नित्थारगपार गाहोह) । पी। पञ्चख्खाण करै (अमुक तप आलोयण निमित्तं करे मि कानसग्गं) अन्नत्थु कहै। ४ लोगस्सको कान्सग्ग करै। प्रगट लोगस्स कहै। पीछे नपगरण पात्र अत्तपानादिकसें साधु भक्ति करै । अपनें शक्ति माफक ।
जैन विद्याभ्यास कराणे वाले। विद्यागुरूकी नक्ति करै । साहमी बबल करें। पहरावणी करै। पीने जाचकांकों दान सन्मान करै ॥ * ॥ ॥ॐ॥ इति सर्व तपस्या पारण विधि संपूर्णम् ॥
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