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वसंत हाली स्तवनसंग्रह...
॥ ॥ पुनः होरी ॥ ॥ ॥ इकसुणलै नाथ अरज मेरी इस चालमें॥3॥ ॥ ॥ तुमे ध्यावोरे अंतरीक पारसकुं॥ तु०॥ अंतरीक प्रनुके ध्यावणसें दूरकरे मुख दालिद्रकुं॥ तु०॥ अस्वसेन कुलमें चिंतामणि । जिमरवि ऊगो
सरदऋतुकुं॥ तु०॥१॥ बांमानर अवतार लियोहै । नव्यजीवनें तारणकुं • ॥ तु०॥नील वरण तनज्योति अखंमित लिंउन अहि सुखकारणकुं॥ तु०॥ ..
॥२॥ दक्षिणदिशमें सिरपुर नगरे । जिहां नेव्या जिनराजकुं॥ तु०॥ पार्थप्रनुको दरशण पायो । दूर हुआ नंव नटकणसुं ॥ तु०॥३॥ प्रगट प्रनूको अतिशय पेख्यो । अधर रहत नूमि ऊपरकुं॥ तु०॥ कपूर कस्तूरी केशर चंदन । अष्टद्रव्य लेके पूजनकुं॥ तु०॥ ४॥ अष्टकरम शत्रूकुंजीपके । जायचव्या राजशिवपुरकुं ॥ तु०॥ दूधेड्या गोत्र नत्तम बुधसिंहपति । वि शनचंद हितकारणकुं ॥तु०॥५॥ नगणीसै गुणतीसै फागुण । यात्राकरी मुद तेरशकुं॥ तु०॥श्री अजेराज ग्यानकुं चाहे । मुक्ति कमल इडा पूरणकुं ॥ तु०॥६॥ इति श्रीअंतरीक पार्श्वजिन स्तवनं ॥ ॥ ॥ ॥
॥ ॥ पुनः होरी राग काफी ॥ ॥ ॥ ॥ बाबो षन बेठे अलवेले । मारो गुलाल मुठी नरके । बाबो० ॥ मुठी नरके पसली नरके ॥ बाबो० ॥ चुत्रा चुआ चंदन और अरगजा । केशरकी मटकी नरके ॥ बाबो० ॥१॥ रतन जडित शिर उत्र बिराजे । अंगी जमाव जमी जरके ॥बाबो० ॥२॥ बाहें बाजूबंध बहिरखा बिराजे । फूलनके गजरे सरके ॥ बाबो० ॥ नाजिराया मरुदे बीको नंदन। रमिये नवि आदेशरसें ॥ बाबो० ॥ आदिखान है दास तु मारो। तार लीओ अपनो करकें ॥ बाबो० ४॥॥ इति ॥१॥
॥ ॥ पुनः होरी॥ ॥ ॥ ॥ नेमन जाणे मोरी पीर । पीर पर रर रर रर । नेमन जाणे० ॥ तोरणथी रथ फेरवी चाल्या। दाऊयो हैयमा केरो हीर । हीर अर र रर रर ॥ नेम०॥१॥ चंदबदनी मृग लोयणीरे। प्रेमनो मारयो मुनें तीर । तीर तर रररररर ॥ नेम० ॥२॥आंशुमां करती धरणी ढलीरे । जाणे आशाढो