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दश पञ्चक्खाणगारेणं। सबसमाहिवत्तियागारेणं ॥ देसावगासियं नोगपरिनोगं पञ्चक्खाइ । अमत्थणानोगेणं । सहस्सागारेणं । महत्तरागारेणं। सबसमाहिवत्तियागारेणं। बोसरइ॥ इति नवकारसीपञ्च क्खाणं विगय देशावगासीयुक्तं ॥१॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥ ॥ तथा जो श्रावक नियम संनारै नही। सो विगइका (अर) देसावगासीका आगार नपचखै । निकेवल । नवकारसी आदिक पञ्चक्खाण करै ॥ यथा ॥ ॥ॐ ॥ ॥ॐ॥
॥ॐ॥ नग्गएसूरे नमोकार सहियं पञ्चक्खाइ । चविहंपि आहारं। असणं । पाणं। खाइमं । साइमं। अप० । सह। बोसरह । इति नवकारसी पञ्चक्खाण ॥श्रागार ॥२॥ ॥श्री॥
॥ॐ ॥पोरसिं (मूंगसिं) पच्चक्खाइ ।नग्गए सूरे चनवि हंपि आहारं । असणं। पाणं। खाइमं । साइमं । अमत्थः । सहस्सा०। पहलकालेणं। दिसामोहेणं । साहुवयणेणं। सब। वोसरइ ॥ विगइन पञ्चक्खाइ । इत्यादि पुर्बकीपरैकहणा ॥ इति पोरसी पञ्चक्खाण ॥२॥आगार ॥६॥ ॥2॥
* ॥ इसीमाफक साढपोरसीका पञ्चक्खाण जाणना। इतना बिशेष है । पोरसिं पञ्चक्खाइ (इहां) साढपोरसिंपञ्चक्खाइ कहणो॥ इति साढपोरसीपञ्चक्खाण आगार ॥ ६ ॥ॐ॥ सूरे उग्गए। पुरम8 अवढे (वा) पच्चक्खाइ। चविहंपि आहारं। असणं । पाणं । खाइमं। साइमं । अम० ।सह०। पत्र। दिसा । साह । मह । सब्ब०। विगइन पञ्चक्खाइ । इत्यादि पूर्बवत् । इति पुरमठ्ठपञ्चक्खाण ॥३ आगार ७॥॥॥श्री ॥
॥ॐ॥ पोरसिं साढपोरसिं (वा) पञ्चक्खाइ। नग्गएसरे । चनविहपि आहारं । असणं। पाणं । खाइमं । साइमं । अम।