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रत्नसागर
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| | पुनः॥ .... ॥ॐ॥ जावधर धन्य दिन आज सफलो गिरायो । आजमें सजनि आ नंद पायो॥ना०॥ हर्ख धरि निजरि नरि बिमलगिर निरखकर । रजत मणि कनक मोतिय वधायो ॥ ना०॥ १॥ पग पगै नमगधर पंथनित पूतां। धन्य दोय चरण जिहां तलक आयो । आज धनदीह जागी सु कृतकी दिशा । आज धनदीह दिन सुजश गायो ॥मा० ॥२॥ दूर पुर गत टालिय यात्र विधमुं करी । पुन्य नंमार पोते नरायो । वदत जिनराज मनरंग सुरगिर सिखर। रिपन जिनचंद सुरतरु कहायो ॥ना० ॥३ ॥ ॥ इति सिघगिरी स्तवनं ॥8॥ ॥ ॥ ॥ ॥ इति कार्तिक माश चतु पर्वाधिकारः॥८॥॥ ॥ ॥
मार्गशीर्ष माश पर्वाधिकार लि० ॥ * ॥ . ॥ ॥ मिगसर महिनेमें मिती मिगसर सुद ११ (सो) मोन इग्या रस नामसे पर्व प्रसिद्ध है । इस दिन दैढसै कल्याणक हुये ( सो लि खते हैं) जन्म । दिदा । केवलज्ञान । यह । तीन कल्याणक । श्रीमल्लिनाथ स्वामीके हुये । श्री अरनाथ स्वामीने दिवा अंगीकार करी ॥ श्रीनमि नाथ स्वामीनें केवल ग्यान नत्पन्न भयो । (ऐसें) इस भरतक्षेत्रमें बर्त मान चौबीशीके पांच कल्याणक हुए (इसी माफक) पांच नरत । पांच ऐरवतमें। चौबीशीके पांच२ कल्याणकमिलानेसें । पच्चास कल्याणक हुये अतीत । अनागत । वर्तमान । कालके अपेवायें। दैढसै कल्याणक हुये। इसीसें यह दिन वमा नत्तम है (इस दिन) मोन संयुक्त नपवास करै । अठ पहरी पोसो करके । मोन इग्यारसको गुणनो करै । पोशहकी शक्ति न हो य (तो) देशावगासी लेके गुणनो करै । ( एसें) इग्यारै बरशमें, इग्यारे उपवास करै। और (जो) इग्यारस करनेकी इडा हो (तो) माशमें बद सुदकी। दोनुं एकादशी। इग्यारै बरश, इग्यारै महिनां करै । यह तपस्या करतां इग्यारे अंग शुधनावसे सुरें। इग्यारै अंग लिखायकै देवै । पढने वाळू का सहाय्य करै । तपस्या ग्रहण करनेको (पारनेको) गुरूके मुखसें विधि करै । यथा शक्ति आगम पूजा साहमी वडल करे ॥ इति ॥
सुदकी। दो एका शुधनावसें मुणे । कानेको (पारनेका