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- रत्नसागर.. लोगस्स कहै । पीने सर्व पूर्वोक्त करणी करें। इति सप्तम दिवश विधिः॥ ७॥
॥ * ॥ अथ अष्टम दिवश विधि लि०॥ * ॥ ॥॥(नक्षी णमो चारित्तस्स ) इस पदको ( २ ) हजार गुणनो करै । चारित्र पदका नज्वल वर्ण है । (इसीसें) तंडुलका आंबिलकरै । सि तर नेद चारित्र पदके। चिंतवके नमस्कार करै ॥ * ॥ ॥ॐ॥
॥ॐ ॥अथ चारित्र पदके (७०) नेद लि० ॥ * ॥ १॥प्राणाति पात विरमणरूप चारित्राय नमः॥ २॥ मृषावाद विरमणरूप चारित्राय नमः॥ ३॥अदत्तादान विरमण रूप चारित्राय नमः॥ ४॥ मेथुन विरमण रूप चारित्राय नमः॥ ५॥परिग्रह विरमण रूप चारित्राय नमः॥ ६॥कमा धर्म रूप चारित्रेभ्यो नमः॥ ७॥आर्यव धर्म रूप चारित्रेभ्यो नमः॥ ८॥ मृडता धर्म रूप चारित्रेभ्यो नमः॥ ९ मुक्तधर्म रूप चारित्रेभ्यो नमः॥ १०॥तपो धर्म रूप चारित्रेभ्यो नमः॥ ११॥ संयम धर्म रूप चारित्रेभ्यो नमः॥ १२॥ सत्य धर्म रूप चारि०॥ १३॥शौच धर्म रूप चारि०॥ १४॥अकिंचन धर्म रूप चारि० ॥ १५॥ बंन धर्म रूप चारि० १६ ॥ प्रथवी रक्षासंयम चारित्रेभ्यो नमः ॥ १७॥नदग रहा संयम चारि० ॥ १८॥ तेक रक्षा संयम चारि०॥ १९॥ बाऊ रक्षा संयम चारि०॥ २०॥ वनस्पति रक्षा संयम चारि०॥ २१॥ वेइंद्री रक्षा संयम चारि०॥