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रत्नसागर. ४॥ मैथुन विरमण ब्रत यु० श्रीसा॥ ५॥परिग्रह विरमण ब्रत यु० श्रीसा॥ ६॥रात्रिनोजन विरमणबत यु० श्रीसा०॥ ७॥ पृथ्वीकाय रछकाय श्रीसा॥ ८॥अप्पकाय रदकाय श्रीसा०॥ ९॥ तेनकाय रदकाय श्रीसा॥ १०॥ वाकाय रदकाय श्रीसा॥ ११॥ वनस्पतिकाय रदकाय श्रीसा०॥ १२॥ त्रसकाय रदकाय श्रीसा॥ १३॥ एकेंद्री जीव रछकाय श्रीसा॥ १४ ॥बेइंद्रीजीव रक्षाय श्रीसा० ॥ १५ ॥ तेइंद्री जीव रक्षकाय श्रीसा॥ १६ ॥ चौरिंद्रीजीव रक्षकाय श्रीसा॥ १७॥ पंचेंद्रीजीव रदकाय श्रीसा॥ १८॥ लोन निग्रह काय श्रीसा॥ १९॥दमा गुण युक्ताय श्रीसा० ॥ २०॥शुन नावना नाव काय श्रीसा०॥ . २१॥प्रतिलेखनादि क्रिया शुधकारकाय श्रीसा॥ २२॥ संयम योग युक्ताय श्रीसा॥ २३॥ मनोगुप्ति युक्ताय श्रीसा०॥ २४॥ वचनगुप्ति युक्ताय श्रीसा॥ २५॥ काय गुप्ति युक्ताय श्रीसा॥ २६॥ सीतादि प्राविंशति परीशहसहण तत्यरायः॥ २७॥ मरणांत नपसर्ग सहण तत्पराय श्रीसा॥
॥ इस रीतसे सातवीश नमस्कार करै (खमा होके ) अन्नत्यू स० ( इत्यादि कहिके ) सातवीश लोगस्सका कानसग्ग करै । एक लोग स्स कहके पारे (पीने) पूर्वोक्त करणी करै । (यह पंच परमेष्टि पदके