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जैती संयुक्त नवपद लीकरणबिधि. ३२७ १०॥श्रीप्रश्न व्याकरण सुत्र पठन गुण यु०॥ ११॥श्रीविपाक सुत्र पठन गुण यु०॥ १२॥ नत्पाद पूर्व पठन गुण यु०॥ १३॥ आग्रायणी पूर्व पठन गुण युक्ताय०॥ १४॥वीय प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय० ॥ १५॥ अस्ति प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय०॥ १६॥ज्ञान प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ता०॥ १७॥ सत्य प्रवाद पूर्व पठन गुण यु०॥ १८॥ आत्म प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय० ॥ १९॥कम्मे प्रवाद प्रवे पठन गुण युक्ताय०॥ २०॥ प्रत्याख्यान प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय० ॥ २१॥ विद्या प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय०॥ २२॥ अबिंध्य प्रवाद पूर्व पठन गुण यु०॥ २३॥ प्राणायाम प्रवाद पूर्व पठन गुण यु०॥ २४ ॥ क्रिया विशाल पूर्व पठन गुण यु०॥ २५॥ लोक बिंडसार पूर्व पठन गुण यु०॥
* ॥ इस रीतसे पचवीश नमस्कार करै (खमाहोके ) अन्नत्थूस (इत्यादि कहिके) पचवीश लोगस्सका कानस्सग्ग करै। एक लोगस्स क हके पारे। (पी) पुर्वोक्त करणी करै। इति चतुर्थ दिवश विधिः॥ ॥
॥अथ पंचम दिवश विधि लि० ॥१॥ ॥ ॥ (नक्षी णमोलोए सबसाहूणं) इस पदको ( २ ) हजार गुणनो करै। साधु पद कालै वर्ण है (इससे) नमदका आंबिल करै । सर्व साधु पदके सत्तावीश गुण चिंतवके नमस्कार करै ॥ * ॥
॥ॐ॥साधु पदके (२७) गुण ॥ ॥ १॥प्राणातिपात विरमणव्रत युक्ताय श्रीसाधवे नमः॥ २॥ मृषावाद विरमण ब्रत यु श्रीसा॥ ३॥ अदत्तादान विरमण ब्रत यु० श्रीसा॥