________________
२९२
स्त्नसागर
वंत सांसो जियो जी । चम कियो चित्तनरेस ॥५ ॥ वी० ॥ वीरवादी वल तां थकां जी । पैसतां नगर मकार । धुंवानो धोर देखी करीजी। जा जा हरे अजय कुमार ॥ ६ ॥ वी० ॥ तानो वचन पाली करी जी । बतलि यो अजय कुमार । समय सुंदर कहै चेलणा जी । पामिया जवतणो पार ॥ ७ ॥ वी० ॥ इति चेलणा महासती सिझाय संपूर्णम् ॥
॥ * ॥ अथ बाहूबलजी सिशाय लि० ॥ ॥
118 11
॥ * ॥ राजतणा प्रति जोनीया । जरत बाहूबल जैरे । मूठि नपा मी मारिवा । बाहूबल प्रतिबृज़ैरे ॥ १ ॥ बीरा झांरा गजथकी कतरो । बा 'झी सुंदरी जासैरे । षन जिणेसर मोकली । बाहूबलनें पासै रे ॥ १ ॥ बी० ( गजचढ्यां केवल न होई रे ) ॥ २ ॥ बी० ॥ जोचकरी चारितलीयो । व लियो अभिमानोरे । लघु बंधव वांडुं नही । कानसग्ग रह्यो सुन ध्या नोरे ॥ ३ ॥ बी० ॥ बरस दिवस कानसग रह्यो । बेलमियां वींटाणोरे । पंखी माला मांगीया । सीत ताप सूकाणोरे ॥ ४ ॥ बी० ॥ साधवी बचन सुया इसा । चमक्यो चित्तमकारोरे । हय गय रथमें परिहरथा । पिण न विमुक्यो अहंकारोरे ॥ ५ ॥ बी० ॥ वैरागे मन वालीयो । मूंक्यो निज
मनोरे । पांव उपामी वांदिवा । ऊपनों केवल नाणोरे ॥ ६ ॥ बी० ॥ पहुतो केवल परषदा । बाहूबल रिषि रायारे । अजर अमर पढ़वी लहै । समय सुंदर वंदे पायारे ॥ ७ ॥ बी० ॥ इति बाहूबल सिझाय संपूर्णम् ॥ ॥
॥
1111
#1
*॥
॥ ॐ ॥
॥
॥ ॥ अथ अरणकमुनी सिज्ञाय लि० ॥ ॥ * ॥ रणक मुनिवर चाल्यागोचरी । तमकै दाजै सीसोजी । पाय उ जरांणारे बेलूपर जलै । तन सुकमाल मुनीसो जी ॥ १० ॥ मुख कमला णोरे मालतीफूलज्युं । ऊनो गोखने हेठोजी । खरे दुपहुरे रे दीठो एकलो । मोही माननी मीगेजी ॥ २ ॥ ० ॥ वयण रंगीलैरे नयणे वेधियो । रिषथं भ्यो तिवारी जी । दासीनें कहे जाय नंतावली । नरिष तेडी प्राणो जी ॥ ३ ॥ ० ॥ पावन कीजै रिषिवर प्रांगणो । वहिरो मोदक सारो जी । नव जोवन रस काया कांइदहो । सफल करो अवतारो जी ॥ ४ ॥ प्र० ॥ चंद्रा