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दर्शन धार (तथा) अष्टापद स्तवन. ર૮રૂ हजूरजो। ताहरीरे बलिहारी हुंजावं वारणे रेलो। हारे कवि रूपविबुधनो मो हन करै अरदासजो। गिरूआ थई मन आंणो ऊलट अतिघणोरेलो॥ ७ ॥ इतिश्री धर्म नाथ जिन स्तवनं ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥॥अथ दर्शन दार स्तवन ॥४॥ ॥॥समकित धारगुजारे पेसतांजी। पापपडल गयादूररे । मोहन मरूदे वीनोलामलोजी।दीगे मीगे आनंदपूररे॥१॥स०॥आयूवरजित सातकर्म नीजी। सागर कोमा कोमीहीणरे । स्थिती पढम करणे करी जीवनेंजी। वीरज अपूरबनो घरलीधरे ॥२॥स०॥जुगलजागी आद कषायनीजी। मिथ्यातमो हनी सांकलसाथरे। बार ज्वामा सम संवेग नांजी। अनुन्नव नवनें वेठो नाथरे ॥३॥स०॥तोरण बांधु जीवदया तणुंजी। साथीयो पूरो सरधारूपरे । धूपव टी प्रजुगुण अनुमोदनाजी। निगुण मंगल आठ अनूपरे ॥ ४ ॥ स०॥सं बरपाणी अंगपखालणेजी। केशर चंदन उत्तम ध्यांनरे।आतम गुण रुची मृग मद मह महेंजी। पंचाचार कुशम परधानरे ॥ ५ ॥ स०॥नाव पूजानें पा वत आतमाजी। पूजो परमेसर पुन्यपवित्ररे । कारणजोगें कारज नीपजेजी खिमा बिजय जिन आगम रीतरे॥६॥स०॥ ॥ ॥ ॥॥ इति श्री आदीश्वरजिन स्तवनं संपूर्ण ॥ ॥ .
॥अथ श्रीअष्टापद तीर्थ-स्तवन ॥ ॥ ॥ ॥ मनडो अष्टापद मोह्यो माहरोजी । नाम जपु निसदीसजी।च त्तारी अध्ठ दश दोय वंदियाजी। चिहुंदिस जिन चौवीसजी॥१॥म०॥जो जन जोजन अंतरेंजी। पावम साला आठजी । आठ जोजन ऊंचो देहरोजी मुख दोहग जाये नाराजी ॥२॥ म०॥ परतें जराव्या जला देहराजी। सोने प्यारा थंनजी। आप भूरति करे सेवनाजी। जांणे जोईजै कनजी॥३॥म०॥ गौतमस्वामि तिहां चढ्याजी । आंणी नागीरथ गंगजी । गोत्र तीर्थकर वां धियोजी। रावण नाटक रंगजी॥४॥म०॥ देवे नदीधी मुमने पांखमीजी
आई केम हरजी । समय सुंदर कहै वंदनाजी। प्रह ऊगमतें सूरजी ॥५॥ म०॥ इति श्री अष्टापद स्तवनं ॥ * ॥