________________
मोहनगुणमाला, प्रथम नाग.
(अनागत चौवीसी) १॥ श्रीपद्मनानजी। ९॥श्रीपोटिल प्रनुजी। १७॥ श्रीसमाधिनाथजी । २॥श्रीसूरदेवजी। १०॥ श्रीशतकीर्तिजी। १८॥ श्रीसंबरनाथजी। ३॥श्रीसुपार्श्वजी। ११॥ श्रीसुब्रतनाथजी। १९॥ श्रीयशोधरजी। ४॥श्रीस्वयंप्रनुजी। १२॥श्रीअममनाथजी। २०॥ श्रीविजयनाथजी। ५॥श्रीसर्वानुभूतिजी।१३॥श्रीनिष्कषायजी। २१॥ श्रीमल्लिंप्रनुजी। ६॥श्रीदेवश्रुतजी। १४॥श्रीनिष्पुलाकजी। २२॥ श्रीदेवप्रनुजी। ७॥ श्रीनदयप्रनुजी। १५॥ श्रीनिर्ममनाथजी । २३॥ श्रीअनन्तजी। ॥श्रीपेढालप्रनुजी। १६॥ श्रीचित्रगुप्तिजी। २४॥ श्रीन,करजी।
॥इति नविष्यचविंशति तिर्थकरेभ्योनमः॥
__ (बीसबिहरमांन नामानि) १॥ श्रीसीमन्धरजी। ॥श्रीअनन्तबीर्यजी। १५॥ श्रीनेमप्रनुजी। २॥ श्रीयुगमन्धरजी। ९॥ श्रीसूरप्रनुजी। १६॥श्रीईश्वरजी। ३॥ श्रीबाहुजी। १०॥ श्रीविमलजी। १७॥ श्रीवयरसेनजी। ४॥ श्रीसुवाहुजी। ११॥ श्रीवज्रधरजी। १८॥श्रीमहानद्रजी। ५॥श्रीसुजातजी। १२॥श्रीचंद्राननजी। १९॥ श्रीदेवजसजी। ६॥ श्रीस्वयंप्रनुजी। १३॥श्रीचंद्रबाहूजी। २०॥ श्रीअजितवीर्यजी। ७॥ श्रीषनाननजी। १४॥ श्रीनुजंगजी।
॥इति विंशति विहरमानतिर्थकरेभ्योनमः॥
(च्यार सास्वतानामः) १॥ श्रीषनाननजी। -३॥ श्रीवारिषेणजी। २॥ श्रीचंद्राननजी। ४॥ श्रीवर्धमानजी।
॥ इति चत्वार सास्वता जिनवरेभ्योनमः॥